सोमवार, 8 सितंबर 2025

समयक हस्ताक्षरः शेफालिका वर्मा

 आज मेरे पास एक अद्वितीय पुस्तक आई है—*समयक हस्ताक्षरः शेफालिका वर्मा* (मैथिली संस्करण), जिसे संकलित किया है श्रीमती कुमकुम झा एवं श्री राजीव कुमार वर्मा ने। यह पुस्तक प्रकाशित हुई है 1 जनवरी 2021 को (Paperback)।

लेखिका डॉ. शेफालिका वर्मा आधुनिक मैथिली साहित्य की प्रतिष्ठित हस्ती हैं, जिन्हें उनकी आत्मकथा *किस्त–किस्त जीवन* के लिए 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस पुस्तक में उनके समय का हस्ताक्षर, उनके अनुभव और संवेदनाएँ संकलित हैं—एक साहित्यिक यात्रा जिसका हर पाठक अनुभव करना चाहता है। इस पुस्तक में लेखिका के विषय में अत्यधिक जानकारी शामिल है, जब कोई शोधकर्ता शेफालिका जीके विषय में अपनी शोध के लिए अभिलेख ढूंढने का प्रयास करेंगे तो उन्हें बहुत अधिक जानकारी इसी पुस्तक से मिल जाएगा।
अपना पाठकीय अनुभव भी शेयर करने का प्रयास करूंगा, फिलहाल तो थोड़ा व्यस्त हूं पर इतना कह सकता हूं कि ये पुस्तक श्रीमती Shefalika Verma जी के समग्र लेखकीय और जीवन वृतांत का जीता जागता जानकारी प्रस्तुत करता है। इसमें मैथिली,हिन्दी और अंग्रेजी तीनों भाषा को समेट कर संपादित किया है। इस कार्य के लिए बड़े भाइ Rajiv Verma जी और श्री मति Kumkum Jha जी को हार्दिक बधाई देता हूं।
संजय झा ' नागदह'

मनसरबी – मैथिली उपन्यास

 **मनसरबी – मैथिली उपन्यास**

आखिरकार हमर पुस्तक संग्रहमे एकटा विशेष रचना जोड़ायल—मैथिली उपन्यास *“मनसरबी”*, लिखल गेल अछि सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री कैलाश कुमार मिश्र द्वारा।
ई उपन्यास मिथिलाक माटि, लोकजीवन आ संस्कृति सँ उपजल यथार्थक अद्भुत चित्र प्रस्तुत करैत अछि। लेखक कहैत छथि जे ई “सत्-जकाँ” रचना अछि—अर्थात् समाजक सजीव अनुभव आ लोककथा सन संवेदनाकेँ कलात्मक रूपमे संवारि प्रस्तुत कएल गेल अछि।
“मनसरबी” केवल एकटा कहानी नहि, बल्कि मिथिलाक गाम-घर, लोकक हर्ष-विषाद, संघर्ष आ संस्कृतिक सुगंध सँ भरल एकटा जीवंत यात्रा अछि। मैथिली साहित्य प्रेमीसभ लेल ई उपन्यास निश्चय पढ़बाक योग्य अछि।
अहाँक पुस्तकालयमे की ई रत्न अछि? यदि नहि, तँ समय आएल अछि—अपन संग्रहमे जोड़ू आ अपन मातृभाषाक स्वादक अनुभव करू। एखन एतबे, इ तं मात्र पहुंचनामा अछि । उपन्यास प्रेमी जौं अंतराष्ट्रीय लेखकक सुगंध प्राप्त करबाक इच्छा रखैत होथि तं देखिते मँगा ली। हम Kailash Kumar Mishra जी के एहि सीरिजकें उपन्यासक रूप देबा आ छपेबाक लेल बड्ड आग्रह केने रहियनि। एकरा देखि हर्षित छी। विस्तार सं लिखब एखन कने समयाभाव अछि ।
- संजय झा 'नागदह'

“पेन ड्राइवमे पृथ्वी” – कवि अजीत आजाद

 “पेन ड्राइवमे पृथ्वी” – कवि अजीत आजाद

मैथिली साहित्यक नव प्रयोगशील स्वर रूपेँ कवि अजीत आजादक कविता संग्रह “पेन ड्राइवमे पृथ्वी” विशेष चर्चित अछि। एहि संग्रहमे कवि आधुनिक जीवनक तनाव, तकनीकी युगक विडम्बना, सामाजिक असमानता आ मानवीय संवेदनशीलता केँ धारदार भाषामे प्रस्तुत करैत छथि। शीर्षक सँ स्पष्ट अछि जे कवि परंपरा आ तकनीकक बीच संघर्षकेँ रचनात्मक रूपमे परोसबाक सफल प्रयास कएने छथि।
एहि कृति लेल कवि केँ साहित्य अकादमी पुरस्कार भेटल छन्हि, जे ई पुस्तकक महत्व आ साहित्यिक योगदानक प्रमाण अछि।
हमरा लेल ई संग्रह मात्र साहित्यिक कृति नहि, बल्कि व्यक्तिगत धरोहर सेहो अछि। कारण, ई पुस्तक कवि अजीत आजाद स्वयं अपन हाथ सँ हमरा भेंट कएलनि। एहन क्षणमे साहित्य पाठक आ लेखक बीचक दूरी खत्म भऽ जाइत अछि आ कविता मात्र पन्ना पर लिखल शब्द नहि रहि, आत्मीय संवाद बनि जाइत अछि।





संक्षेपमे, “पेन ड्राइवमे पृथ्वी” मैथिली कविता जगतक समकालीन स्वर अछि—जे परंपरा, तकनीक आ संवेदनाकेँ संग-संग ल’ क’ चलैत अछि, आ हमरा लेल ई अपन आत्मीयता सँ भरल स्मृति बनि गेल अछि।

चरिपतिया - गारता ओत्तहि खुट्टा


सबटा बात उचिते कहता, 
जूनि करू, मन खट्टा ।
मैथिल विज्ञ मित्र जौं चाही,
सम्हरि रहु, गारता ओत्तहि खुट्टा।

@संजय झा 'नागदह' 

समयक हस्ताक्षरः शेफालिका वर्मा

  आज मेरे पास एक अद्वितीय पुस्तक आई है—*समयक हस्ताक्षरः शेफालिका वर्मा* (मैथिली संस्करण), जिसे संकलित किया है श्रीमती कुमकुम झा एवं श्री राज...

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