**मनसरबी – मैथिली उपन्यास**
ई उपन्यास मिथिलाक माटि, लोकजीवन आ संस्कृति सँ उपजल यथार्थक अद्भुत चित्र प्रस्तुत करैत अछि। लेखक कहैत छथि जे ई “सत्-जकाँ” रचना अछि—अर्थात् समाजक सजीव अनुभव आ लोककथा सन संवेदनाकेँ कलात्मक रूपमे संवारि प्रस्तुत कएल गेल अछि।
“मनसरबी” केवल एकटा कहानी नहि, बल्कि मिथिलाक गाम-घर, लोकक हर्ष-विषाद, संघर्ष आ संस्कृतिक सुगंध सँ भरल एकटा जीवंत यात्रा अछि। मैथिली साहित्य प्रेमीसभ लेल ई उपन्यास निश्चय पढ़बाक योग्य अछि।
अहाँक पुस्तकालयमे की ई रत्न अछि? यदि नहि, तँ समय आएल अछि—अपन संग्रहमे जोड़ू आ अपन मातृभाषाक स्वादक अनुभव करू। एखन एतबे, इ तं मात्र पहुंचनामा अछि । उपन्यास प्रेमी जौं अंतराष्ट्रीय लेखकक सुगंध प्राप्त करबाक इच्छा रखैत होथि तं देखिते मँगा ली। हम Kailash Kumar Mishra जी के एहि सीरिजकें उपन्यासक रूप देबा आ छपेबाक लेल बड्ड आग्रह केने रहियनि। एकरा देखि हर्षित छी। विस्तार सं लिखब एखन कने समयाभाव अछि ।
- संजय झा 'नागदह'
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