गुरुवार, 31 जुलाई 2025

छैठ परमेश्वरी

प्रायः लोक पुछि बैसथि, के छथि छठि मैया ?
चट बुझाए कही हुनका सँ 
षष्ठी तिथि स्त्रीक रूपमे छथि छैठ परमेश्वरी मैया।

इ मैया छथि परम दयालु - करथि सभक मनोरथ पुर 
पूजा करू पुनीत श्रद्धा सँ होयब नहि आहाँ कखनो झूर। 

इ व्रतक छैक बड्ड विधान - पंचमी युक्त षष्ठी छैक वर्जित
मुदा होइ जौं सप्तमी युक्त षष्ठी, तखनो भेल इ उपयुक्त

उदय काल जौं पड़ल षष्ठी, पहिल अर्घ ओहि दिन दी
आ प्रातः जखन सप्तमी तिथि हो, भोरका अर्घ तखनहि दी। 

इ पूजा थिक सूर्यक पूजा पहिल अर्घ भेल साँझमे 
प्रातः जखन लालिमा निकलय दोसर अर्घ दी भोरमे। 

आदित्य देव मुख्य रूप सँ पुजल जाइछ आरोग्य लेल
नहि अछि एहिमे कोनो बाधा स्त्री आओर पुरुष लेल। 

जाति-पाती के बाते छोड़ू - एकर नहि छैक कोनो विचार
भगवान भास्कर पुरवथि मनोरथ - सबके लेल एक्कहि विचार। 

@संजय झा 'नागदह'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बीहनि कथा - चुप्प नै रहल भेल ?

रातुक बारह बजे कनियां सं फोन पर बतियाइत छत पर गेलौं कि देखैत छी आगि लागल। जोर सं हल्ला कैल हौ तेजन हौ तेजन रौ हेमन .. अपन पित्तियौत भैयारी स...

आहाँ सभक बेसी पसन्द कएल - आलेख /कविता /कहानी