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शनिवार, 2 अगस्त 2025

पोथी : बजितथि जँ उर्मिला ( मैथिली दीर्घ कविता) -पाठकीय


पोथी दिनांक 30 नवम्बर 2024 क' बुराड़ी विद्यापति समारोह स्थल सँ मैत्रियी प्रकाशनक स्टॉल सँ खरीदल। सबसँ पहिल बात जे लेखिका सँ एक दिनक भेंट आ हिनक विद्वता सँ कने परिचित छलहुँ तैं मोनमे भेल जे हिनक लिखल पोथी आ ताहूमे उर्मिलाक मन - कल्पनाक भावना पर केन्द्रित पोथी अवश्य पढ़ि जाहि सँ हमरो किछु ज्ञान मार्जन होए।
आइए कने समय भेटल तँ प्रारम्भ कएल । एहि पोथी पर आशीर्वचन श्रीमान भीमनाथ झा देने छथि।
भूमिकाक स्थान पर प्रयुक्त शब्द पुरोवाक् देखल। हम प्रायः पोथी पढ़बाक शुरुआत एहिठाम सँ करैत छी।
पोथीक भूमिका श्रीमान योगानन्द झा, लहेरियासराय जाहि तरहेँ लिखने छथि ताहि तरहक भूमिका अनन्य मैथिली पोथी सबहुँमे बिरलैके अभरैत अछि। कहैत छथि " प्रस्तुत कथाकाव्य 'बजितथि जँ उर्मिला' रामकथाक एक गोट विशिष्ट पात्रीक कल्पनाप्रसूत व्यथा- कथा पर आधारित अछि। एहिमे उर्मिलाक माध्यमे रामकथाक वाचन कराओल गेल अछि। अत्यन्त संक्षिप्त होइतहुँ ई काव्य सहृदय हेतु मर्मस्पर्शी अछि आ ब्रम्हानंद सहोदरक भुक्तिक संगहि भवरोगसँ मुक्तिक सुसेव्य संसाधन अछि। ई काव्य आभा झाकेँ अपन दिव्य ओ भव्य संस्कृतिक संरक्षिकाक रूपमे अवश्य प्रतिष्ठापित करतन्हि"। हम तँ अल्पज्ञ छी तथापि हिनक कथन सँ सहमति रखैत छी।
जिज्ञासा बढ़ैत गेल। श्रीमती आभा झाक भावांजलि होइत आरम्भ कएल 'बजितथि जँ उर्मिला' क पाठ ।
किछु उद्धरण देखल जाए..
आन जीव बस सुख-दुःख
भावेटा सँ, व्यक्त करै ई तथ्य
अश्रु धेनु केर, कानब श्वानक
पीड़ा किन्तु न प्रकटित कथ्य।
तदपि मनुजमे भेद बहुत अछि
वृत्ति गुणें ओ पाबय मान
हित समष्टि जे त्यागय निजसुख
कालातीत ओकर सम्मान।
जे समाज कल्याणक वेदी
पर निज सुख कएलनि उत्सर्ग
युग पर युग बीतय बरु तनिकर
अमल यशक कायम उत्कर्ष।
एतय किन्तु प्रख्यात नै छथि जे
टोही हुनको मनकेँ आइ
राजभवन नहि, अन्तः पुर-
वासिनीक मनमे की औनाइ।
हम सुनयना, जनक केर
औरस सुता छी उर्मिला
प्रथम पुत्री होइतहुँ
छी ख्यात हम सीतानुजा।
द्विरागमनक अवसर पर, जखन चारु बहिन जनकपुर एलीह...
किंतु सुख वेला क्षणिक
त्रुटि किछु समंधक मूल छल
किंवा विदा केर बेरमे
अतिशय प्रबल दिक्शूल छल।
राज्याभिषेकक समयक के भाव व्यक्त क' रहलीह, से देखु....
छथि भरत दुइ भाई नहि
एहि सुखद अवसर खेद अछि
योग राजक शुभ एखन
नक्षत्र - ग्रह - गति तेज अछि।
धड़फड़ीमे कएल निर्णय
नहि सुखद कहियो रहल
राम सन युवराज कोमल
काननक कष्टे सहल !

वन गमनक उपरान्त दशरथ प्राण तेजल, तकर संदर्भमे देखू...
हाय! भेलै एहि अवधमे
दृष्टि शनि केर घोर कारी
पुत्र- पुत्र करैत भूपति
वरण कएलनि मृत्यु भारी।
चारि सुत, नहि एक ल'गमे
भाग्य की एकरे कहै छै
वा कुमार श्रवण पिता केर
शाप एहि तरहेँ फलै छै ?
उद्धरण अनेक अछि... अन्तमे उर्मिला कहैत छथि ...
बहुत बजलहुँ, बहुत दिनसँ
छल हृदय पर भार
जमल हिम् पघिलब शुरू अछि
अन्त नहि तैं धार।
आइ हमहुँ एकर पाठ कएल, विश्वास अछि जाहि तरहेँ श्रीमान योगानन्द जी कहला जे इ निश्चय भवरोगसँ मुक्तिक सुसेव्य साधन अछि तकर किछु फलाफल तँ हमरो भेटबाक चाही।
अस्तु !

पोथी : बजितथि जँ उर्मिला ( मैथिली दीर्घ कविता)
लेखिका : आदरणीया श्रीमती आभा झा
प्रकाशक : मैत्रेयी प्रकाशन,दिल्ली।
दाम: 150 टाका।
संजय झा 'नागदह'

कवि रहस्य - पाठक लोकनिक संक्षित टिप्पणी


श्री विनोद नारायण झा आ संजय झा नागदह
सर गंगानाथ झाक प्रसिद्ध आ अतिगंभीर पोथी मे सँ एक पोथी 'कवि रहस्य'क मैथिली अनुवाद साहित्यकार श्री संजय झा "नागदह" कएलनि अछि। मधुबनी मे भेंट क' अनुवादित पोथी देलनि आ बहुत रास मिथिला- मैथिली पर विमर्श भेल..!!
संजय जी ई पोथी हुनकर उच्चकोटि क चिंतन-मनन क दिशा उद्घोषित करैत अछि ...!! शुभकामना....

श्री संजय जी भारत सँ बाहर रहितहुँ मैथिली भाषा के लेल बहुत रास काज क' रहला अछि से देख बहुत आह्लादित भेलहुँ..!!
श्री विनोद नारायण झा , पूर्व मंत्री, विधायक बेनीपट्टी


श्री उदय चन्द्र झा विनोद
शास्त्रक समस्त विद्या स्थानक एकमात्र आधार काव्य थिक जे वांगमयक द्वितीय प्रभेद अछि।काव्य के एहन मानबाक कारण ई छैक जे ई गद्य पद्यमय अछि संगहि हितोपदेशक सेहो। ई काव्य शास्त्रक अनुसरण करैत अछिःः से कथा हम नहि कहैत छी , कहैत छथि मिथिलाक वरद पुत्र महामहोपाध्याय सर गंगानाथ झा अपन प्रसिद्ध भाषणक किताब कवि रहस्य मे।1928ः29 मध्य देल गेल भाषण तथा हिन्दुस्तानी एकेडमी द्वारा प्रकाशित एहि किताब पर टिप्पणी करबाक पात्रता हम निश्चिते नहि रखैत छी तथापि एतबा कहब जे ई किताब हमरा सनक लोक लेल बड उपकारक अछि तथा युवा लेखक संजय झा नागदह एकर मैथिली रूपान्तर द्वारा उपकार कयलनि अछि। प्रत्येक कवि के अवश्ये एकर पारायण करबाक चाही। एहि लेल सुन्दर अनुवादक संजय आ नवारम्भक अधिष्ठाता अजित आजाद धन्यवादक पात्र छथि।
स्वनामधन्य झा साहेब भाषणक आरम्भहि मे कहैत छथिः
जखन कखनो हमरा हिन्दी मे व्याख्यान देबाक अनुमति होइत अछि तँ हमरा बड्ड लाज होइत अछि किएक तँ असल मे हिन्दी हमर मातृभाषा नहि अछि।हमर मातृभाषा ओ मैथिली भाषा अछि जकरा दस बारह बरख पहिने तक घृणाक दृष्टि सँ नाम राखल गेल छल छीका छीकी। सर झा गछलनि अछि जे हिनक एहि भाषणक आधार रहल अछि राजशेखर कृत काव्य मीमांसा आ क्षेमेन्द्र कृत कविकंठाभरण। कविक कर्त्तव्य, कवित्व शिक्षा, कविक समय ,राजाक कर्त्तव्य, चोरी, काल समय प्रभृति नाना विषय विवेचित अछि एहि किताब मे। ठीके कहैत छथि जे कविकृत्य वेदान्तक ब्रह्म जकाँ आवागमन सगोचर होइतो सर्वव्यापी सर्वभूता न्तरात्मा अछि। स्वतःस्मरणीय झा साहेब के सादर नमन करैत संजय बाबू के एहि अनुवाद हेतु प्रशंसा करैत छी। पुस्तकक हार्दिक स्वागत।
श्री उदय चन्द्र झा विनोद 17-06-2021

श्री सुनीत ठाकुर आ संजय झा नागदह 
पचासम साहित्यिक चौपाड़ि (दिल्ली एनसीआर) 28 नवंबर 2021 (रवि दिन) सफलतापूर्वक आयोजित भेल.
हमहुँ मित्र राहुल झा जीक संग पहुँचल रही.
साहित्यिक चौपाड़ि केर हम प्रशंसक छी एवं श्रोताक रूपमे सम्मिलित हेबाक यथासंभव प्रयास करैत छी. प्रत्येक मासमें एकबेर मैथिली साहित्यानुरागी सभक संग भेंटघाॅंट सुखद रहैत अछि, एहिमे साहित्यिक चौपाड़ि खूब नीक भूमिका निभा रहल अछि.
वर्तमानमे तंज़ानिया (अफ्रिका) में कार्यरत मित्र संजय झा 'नागदह' स' हुनक बहुचर्चित पोथी "कवि रहस्य", उपहार स्वरूप प्राप्त भेल संगहि डॉ आभा झा लिखित काव्यसंग्रह "चिनबार" सेहो उपहार स्वरूप भेटल. हृदय स' आभार दुनू गोटेक, पढलाक बाद पोथीक संबंधमे किछु कहि सकब.
अशेष शुभकामना साहित्यिक चौपाड़ि केर आयोजक लोकनिके, बधाई 💐💐
श्री सुनीत कुमार ठाकुर (एडमिन - हम सब मैथिल छी)


श्री ललित नारायण झा (सम्पादक मिथिला मिरर) आ श्री अजित आज़ाद 

नवारम्भ प्रकाशनक संस्थापक श्री अजीत आजाद द्वारा महामहोपाध्याय सर गंगनाथ झाक रचित एवं अग्रज मित्र श्री संजय झा "नागदह" द्वारा अनुदित पोथी "कवि रहस्य" प्राप्त भेल। पोथी पढ़लाक बाद विशेष समीक्षा करब। बधाइ संजय बाबूकेँ!

हमर मित्र बहुत मेहनत आ तन्मयता स ई पोथी ल क आबि रहल छैथ । उम्मीद कम्मे अछि जे कवि लोकनि कवि रहस्य पर नजरि देब चाहता कारण जे सबटा रहस्य खुलि जयबाक संभावना आ डर अछि ।
ई एकटा अनुदित पोथी जे म० महो० डा० सर गंगानाथ झाक कवि रहस्य के अछि । आशा अछि जे जाहि मनोयोग सँ हमर मित्र अकरा तैयार कयने छथि ताही मनोयोग सँ साहित्यिक आ पाठक समाज अकरा पढ़त आ स्वागत करत !
--- अश्विनी कुमार तिवारी ( 14/04/2021 )

बड नीक पोथी अछि अद्भुत वर्णन अनुवाद वाह काल्हि हमरा संजय झा जी भेटि केलनि महेन्द्र मलंगिया सर आ विभूति आनन्द सर नेपालक पुर्व उप प्रधानमंत्री राजेन्द्र महतो सर आओर वरिष्ठ साहित्यकार लोकनिक जे हमरासँ भेट करै चाहैत छलखिन्ह आहो भाग्य हमर भैटघाट गपशप भेलि हिनक लोकनिक फैन हम स्वंग छी

श्री हर्ष आचार्य - १७-११-२०२१


मात्र कवि नहि , पाठक लोकनि सेहो कवि रहस्य अवश्य पढताह !! हमरा पूर्ण विश्वास अछि । हम सोझ गप बुझैत छी , नहि पढताह तँ कविता आ निंघेसमे अन्तर कोना करताह ? तैँ अवश्य पढबाक चाही 🙏 ---नीरज कुमार 'नीरज' 14-04-2021


"कवि रहस्य " पढ़ैत ...... पढ़बाक हेतु सोचब कि पोथी अहाँक लग हाजिर .... कोनो कोनमे रही ,बस एक फोन ..व्हाट्सएप्प पर्याप्त । एक नहिं अनेक युवक, प्रकाशक आब व्यावसायिक दृष्टिसँ एहि दिस झुकलाह अछि। सेवा ,व्यावसायिकताक संग ... निस्संदेह एक सफल डेग ... तैं ने हजारियोबागमे ...… अनुवादक Sanjay Jha जीकेँ बधाइ . -
हितनाथ झा 23-06-2021


महामहोपाध्याय सर गंगानाथ झा जी द्वारा लिखित "कवि रहस्य" जेकर मैथिली अनुवाद आदरणीय Sanjay Jha भैया द्वारा कैल गेल पोथी आई प्राप्त भेल। विषय-वस्तु पढ़ी अवलोकनक संग एक बेर फेर उपस्थित भs सब टा सार संक्षिप्त में प्रस्तुत करब। - रौशन मैथिल 22-07-2021




Sanjay Jha thanks for such a lovely gift, Kavi Rahasya by Sir Ganga Nath Jha a true master piece, brother you have big shoes to fill, will review soon. Good look for your future. #कविरहस्य अनुवाद बेतरीन रचना के लिए अहां के बहुत बहुत धन्यवाद। गंगानाथ जी के कवि रहस्य अपने आप में एक अद्भुत रचना छी। उनकर रचना स न्याय, अपने आप में बड़का बात छी। बहुत जल्द एकर समीक्षा प्रस्तुत करई के कोशिश करब। भविष्य लेल अहाँ के बहुत बहुत शुभकामना। - प्रवीण भरद्वाज -10-07-2021


श्रीमती आभा झा 

.
..................कवि रहस्य..................
.तर्केषु कर्कशधियो वयमेव नान्य:
.काव्येषु कोमलधियो वयमेव नान्य:
‌ .कान्तासुरंजितधियो वयमेव नान्य:
.कृष्णे समर्पितधियो वयमेव नान्य:
श्री जयदेव
भगवती भारतीक कृपा सॅं दू-चारि भाषाक क..ट...बुझैत छियैक, किछु- किछु टेढ़-बाकुल लिखियो लैत छियैक। हॅं,पढ़बाक सौख सभदिन सॅं रहल अछि,एखनहुॅं अछि।एहि क्रम मे पुस्तक सभकेॅं अकानैत रहैत छी। सोशल मीडिया-पटल पर महामहोपाध्याय सर गंगानाथ झाजीक कविरहस्यक मैथिली-अनुवाद अभरल आ श्री अजित आजादजीक प्रसादात् हस्तगत भेल।

काव्यक उत्पत्ति कोना होइत छैक,एहि संबंध मे आचार्य मम्मट कहने छथिन-
"शक्तिर्निपुणता लोक काव्यशास्त्राद्यवेक्षणात्
काव्यज्ञशिक्षयाभ्यास इति हेतुस्तदुद्भवे।।"
अर्थात् प्रतिभाशक्ति,लोकशास्त्रक अवेक्षण आ अभ्यास सॅं काव्यक उद्भावना स्वीकार करैत छथि , आचार्य दण्डी नैसर्गिक प्रतिभा,अभ्यास,शास्त्रक ज्ञान आ लोक व्यवहारकेॅं काव्यक उत्पत्तिक कारण बुझैत छथिन, आचार्य वामन आ भामह जन्मजात प्रतिभा सॅं काव्यक सृजन संभव मानैत छथिन आ राजशेखर प्रतिभा (कारयित्री&भावयित्री), व्युत्पत्ति आ अभ्यासकेॅं काव्यक माध्यम मानैत छथिन।
जॅं कवि जन्मजात प्रतिभेटा सॅं किं वा अभ्यासे टा सॅं होइत अछि,त' ओकर रहस्य की? एहि विषयक चिन्तन केॅं काव्यमीमांसा आ कण्ठाभरण केॅं आधार बनाए महामहोपाध्याय अपन वैदुष्यपूर्ण दृष्टि सॅं अभिव्यक्ति देलखिन आ एहि गंभीर विद्वत्तापूर्ण विषयकेॅं सर्वजन- बोधगम्य बनयबा लेल श्री संजय झा जी एकर मैथिली अनुवाद कए श्लाघ्य काज केलनि अछि। आदरणीया शेफालिका वर्माजीक शुभाशंसा आ आशीष पोथीक गरिमा बढ़ा रहल अछि।

नवारम्भ-प्रकाशन सॅं आयल ई पोथी लेखनक ओहि दिशा दिसि संकेत कए रहल अछि जे प्राचीन काव्यशास्त्रीय अवधारणाक सार्वकालिकता आ सार्वभौमिकता दिसि आकृष्ट होइत अछि आ ओतए सॅं सारतत्व लए अभिनव सृजन मे प्रवृत्त होइत अछि।
श्री संजय जीकेॅं एहि कृति लेल भूरिश: अभिनन्दन संग बधाई,सभ भाषा,सभ विधा तथा सभ शैलीक रचनाक समावेशी प्रकाशन-प्रवृत्ति लेल श्री अजित आजादजीकेॅं साधुवाद।
जयतु मैथिली
आभा झा
१५.८.२०२१

श्री अमर जी झा 
DLF निवासी श्री संजय झा जी द्वारा महामहोपाध्याय डॉ गंगा नाथ झा कृत ग्रन्थक मैथिली भाषा में अनुवादित कवि-रहस्य नामक पोथी पढि मन अत्यंत हर्षित भ गेल।
संजय जी मैथिली आ मिथिला के प्रति समर्पित छैथ। विद्वानलोकैन अनुवाद कार्य के अधिक दुरूह मानैत छथि कारण जे ओहि में अनुवादक परतंत्र आ बांहल रहैत छथि। मूल सृजनकर्ताक मनोभावक अनुसरण केनाई परिवर्तित देश काल स्थिति में सेहो अनिवार्य रहैत छैक। मौलिकता के अक्षुण्ण रखनाई आवश्यक रहैत छैक। मैथिली साहित्यक जतैक परिचय आई धरि भेटल छल, ओहि में इ पहिल काव्यशास्त्रीय वा लक्षणग्रन्थ देखल। अनुवादक विद्वान यद्यपि वाणिज्यक छात्र छैथ, मुदा अगाध साहित्य प्रेमी छैथ। हिनकर ई कृति देखि मन गदगद भ गेल। हिनकर ई अमरकृति देखि आत्मग्लानि सेहो भ रहल , जे हमरा सभ झूट्ठौं के मैथिल छी असली काज त यैह केलैन्ह ,जे दीर्घकालिक रहतै। हम सब त दैल -भात -आलूसन्ना पाबि दिन - रैत फोंफियाईत रहैत छी । संजय जी के कोटि-कोटि शुभकामना , बधाई आ प्रणाम। मां सरस्वतीक सदिखन हिनकापर कृपा बनल रहैन्ह । जय मिथिला, जय मैथिली। 🙏💐सादर @ श्री अमर जी झा
27-07-2025


श्री हेमन्त झा आ संजय झा नागदह 


श्री महेश डखरामी जी  




कविरहस्य
 केर मैथिली अनुवादक आ हमर परम मित्र श्रीमान संजय बाबू के प्रकट दिवसक ढाकिए सूपे बधाई


पद्म भूषण स्वर कोकिला शारदा सिन्हा - मिथिलाक दुल्लरि बेटी

 

शारदा सिन्हा जीक जन्म 01 अक्टूबर 1952 ई. क' बिहारक सुपौल जिलाक राघोपुर प्रखंडक हुलास गाँवमे एक भूमिहार परिवारमे भेल छलन्हि। हिनक पिताजीक नाम स्व.सुखदेव ठाकुर छलन्हि आ इ नौ भाइ बहिनमे असगर दुल्लरि बेटी छलीह। हिनकर सासुर बेगूसराय जिलाक सिहमा गाँव (जे पहिने मुंगेर जिलामे पड़ैत छल ) भेलन्हि। हिनकर पतिक नाम स्व. ब्रजकिशोर सिन्हा आ एकटा बेटा श्री अंशुमान सिन्हा आ एकटा बेटी श्रीमती वंदना सिन्हा छथि।

प्रतापगढ़ हाई स्कूलक श्री राम चंद्र झा जी हिनकर पहिल क्लासिकल संगीत गुरु छलखिन। दोसर गुरु छलखिन्ह पंडित रघु झा जिनकासँ  शास्त्रीए  संगीतक शिक्षा भेटलन्हि। तकरबाद क्रमबद्ध पंडित सीताराम हरिडाकर तकरबाद श्री पन्ना देवी इत्यादि रहलखिन्ह। 

बिना रिकॉर्डिंग पहिल गीत जेना शारदा जीक स्मरण छलन्हि ---सरस्वती वंदना -- जय जगदीश्वरि मातु सरस्वती शरणागत अति पालनहारि --- शीश मुकुट गले माला धारी। अपना भाएक वियाहमे पहिल मैथिली गीत जे गउने रहथि छल ---- द्वारिके छेकाई ने पहिने चूकै यौ दुलरुआ भैया-- तब जै ह’ कोहबर अपन यौ दुलरुआ भैया -------ससुर के कमाई देलहा बहिनि के दियौ यौ--- तब दिह अपन कमाई यौ दुलरुआ भैया .........

हिनकर द्विरागमन के दिन हिनक पिताजी दुखिए मन सँ कहलन्हि जे एकटा गीत सुनाउ --- तँ हुनका परिवारक सभ लोक एकत्रित भेल ओहिदिन अपन परिवारक लोककेँ गीत सुनौलन्हि -----निमिया तले डोला रख दे मोसाफिर सावन की आई वहार रे -- निमिया कहे -------अम्मा कहे बेटी निसदिन अइ --- बाबुल कहे छठि मास रे -- भैया कहे बहिनी अवसर पर अइ --- भावी कहे क्या है काम रे ---- निमिया कहे ----

दोसर गीत छल----बड़ रे जतन  सँ हम सीया धिया पोसलहुँ --- सेहो धिया राम नेने जाए -- आगू आगू राम चंद्र -- पाछू पाछू डोलिया -- तै पाछू लक्ष्मण दिअर


मंच
पर गीत गायब तँ ओहि समयमे सबकेँ पसिन नहि रहैक शिकायतक बात भेल, लेकिन ओहो अपने धुनमे रहथि जे किछ होइ मुदा गीत तँ हम गेबे करबै। पूर्ण मर्यादित रहलीह। मंच पर कोना बैसब, कोन गीत गेबाक छैक, कोन नञि, एहि सभक मर्यादाकेँ ध्यान रखैत गीतक चुनाव करैत  छलीह। ।  पहिरब ओढ़ब इत्यादि। कुमारियोमे    गीत गाबथि तखनो शिकायत ' पड़ल  रहन्हि।  लोक कहय --- ठाकुर जीकेँ बेटी स्टेज पर केना गौती ! बाबूजी हिनक बड्ड दूरदर्शी रहथि, कहलन्हि जखन ओकरा रूचि छैक तँ  गेतैक ओहिमे की ' गेलैक। जिनका लाज लगैत होइन्ह घरमे बैसथि।  एहि सभसँ हुनका बल भेटल छल।

बाल्येकालहि सँ हिनका संगीत सँ अत्यधिक रुचि रहन्हि। अपन मधुर आवाज सँ सभक मनकेँ मोहि लैत रहथि। पढ़ाईक मध्य हुनकर मित्र लोकनि हिनक सेहो बड्ड प्रेरित केलकन्हि। सब मिलि हिनका संगीतमे आगा बढ़बाक लेल सेहो खूब उत्साहित कयलन्हि। एहन तरहक सलाह हिनका स्वयं गीत संगीतक प्रति सिनेह अंततः एकटा प्रसिद्ध गायिका बनयबाक मार्ग देखबैत रहल। सहित्यक पढ़ाई लिखाइक बाद शारदा जी अपन गीत संगीतक जुनूनकेँ निखरबाक निर्णय लेलन्हि। दरभंगाक ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सँ संगीतमे डॉक्टरेटक उपाधि प्राप्त कयलन्हि लोक गायिकक रुपमे अपन एकटा ससक्त पहिचान बनौलन्हि। समय बितैत गेल, हिनक स्वरकेँ भारतक फिल्म इंडस्ट्री मे सेहो पसिन होमय लगलन्हि तकर परिणाम भेलैक जे फिल्म इत्यादिमे गीत गेबाक सेहो अवसर भेटलन्हि।

हरिमोहन झाक लेल हिनकर पहिल इंटरव्यू 1980 ई. मे मिथिला मिहिरमे प्रकाशित भेल रहन्हि। ओहि समयमे एकटा कार्यक्रममे कतेक आग्रह भेल रहै --- जगदम्बा घरमे दियरा बारि अयलहुँ हे -------जाहिमे आयोजक हिनका सभसँ अन्तमे मौका देलखिन तहिया नहि बुझि सकल रहथि जे हमरा सुनबा लेल लोक बैसल अछि।  हिनका होइन्ह जे हमरा अवसर नही भेट रहल अछि, जल्दी अवसर भेटैत तँ आर बेसीकाल धरि गीत गाबि सकितहुँ।

शारदा सिन्हाक पहिल रिकॉर्डिंगक कहानी संकल्प, असफलता, सफलता, संघर्ष संयोग सँ भेल। 'रिकॉर्ड दिस आर्टिस्ट' अंग्रेजीक तीन शब्द गूंजल   शारदा सिन्हाक - जिंदगी नव रस्ता पर चलि पड़ल, एकदम नीक सुरताल पर। हिज़ मास्टर वॉयस (एच.एम.वी.) हिनक आवाजकेँ खनकैत गमकैत गलाक अपन  मास्टर वॉयसमे शामिल ' लेलक लोक संगीतक रसिया मानि लेलक 'हर मास्टर वॉयस' हिनकर एहि नव यात्राक गवाह बनल अवधक शहर लखनऊ। एच. एम. वी. सन् 1971 नवंबर मासमे टेलेंट सर्च प्रोग्राम केलक। जकर विज्ञापन डॉ. सिन्हा अखबारमे देखलन्हि तँ अपन पत्नीकेँ ' लखनऊ गेलाह। ओहि समय हिंदुस्तानक सबसँ नामी कंपनीक स्टूडियोक बाहर स्वर परीक्षाक लेल ठाढ़ छलीह, मुदा तहिया संगीतकें प्रोफेशन बनेबाक विषयमे नहि सोचने छलीह। एचएमवी टैलेंट हंटमेभाग लेलाक बाद शारदा सिन्हाकेँ एचएमवीक संग गीत गेबाक पहिल मौका भेटलन्हि। भक्ति गीतसँ  सँ हिनका नीक प्रसिद्धि भेटलन्हि।  1989 मे  एच एम वी कैसेट के तरफ सँ बेस्ट आर्टिस्ट ऑफ़ ईयरक अवार्ड भेटल छलन्हि।

शारदा सिन्हा जी बॉलीवुडक फिल्म - 1989 . मे 'मैंने प्यार किया' मे ---- कहे तो से सजना ये तोहरी सजनिया --पग पग लिए जाऊं तोहरि बलैयाँ ---  . 1994 मे 'हम आपके हैं कौन' गीत -- बाबुल जो तुमने सिखाया --जो तुम से पाया सजन घर ले चली  --- साजन घर मैं चली   2012 . मे  'गैंग ऑफ़ बासेपुर' गीत --- तार बिजली से पतले हमारे पिया - रे सासू बता तूने ये क्या किया -- मे अपन आवाजक जादू बिखेरने छथि सभ गीत खुब चलल   शारदा सिन्हा जीकेँ संगीतमे योगदानक वास्ते 1991 ई.  मे पद्म श्री पुरस्कार सँ सम्मानित कएल गेलन्हि। हिनका गीतमे योगदानक वास्ते 2000 ई. मे संगीत नाटक अकादमी  पुरस्कार सँ सम्मानित कएल गेलन्हि। संगहि  2018  ई. मे गणतंत्र दिवसक पूर्व संध्या पर भारतक तेसर सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण सँ सम्मानित कएल गेलन्हि।

लोक संस्कृति तँ बड्ड पैघ चीज छै --- लोक संगीत बिना शारदा सिन्हाकेँ नाम सँ पूर्ण नञि ' सकैया, खास ' बिहार मिथिला क्षेत्रमे। बेसी संघर्ष केलाक बाद एतेक नाम कमा सकलीह, पहिने ने सोशल मिडिया छलैक ने एतेक सुबिधा।  बिना रियाज साधनाक सब संभव नञि छै।  एकटा संगीतक साधिका रहथि। हिनक ससुरकें गीत -संगीत सँ बड्ड अधिक प्रेम छलन्हि ततबे सासुकें पसिन नञि, मुदा जखन बाहरक लोक सब सँ  जखन पता चललन्हि जे शारदा जीक स्वरक गीत लोक बड्ड पसिन ' रहल छन्हि तँ फेर बड़ बेस। पतिक संग संग दिअर परिवारक सेहो सहयोग भेटलन्हि। 

घोघ मे नुकायल महिलाकेँ शारदा सिन्हाक सन्देश - घोघ तँ मोन सँ होइ छै, हम अपना मोनमे  लोकाचार, लोका - लौकिक हम अपना मोनमे रखै छी ह्रदय सँ  इज्जत करैत छी अपना पैघ छोटके तँ घोघमे रहबाक कोन प्रयोजन ? घोघमे रहि ' भीतर दिल सँ लोक प्रति सोच नै ठीक अछि तँ कोनो फायदा नहि।  सभमे किछ नञि किछ प्रतिभा रहिते छन्हि अपन प्रतिभाकेँ निखारबाक प्रयास करथि।  कतेको मनपसंद गीतमे सँ  -- बाबा नेने चलियौ हमरो अपन नगरी-------हमर सब सँ पैघ सम्मान अछि हमर श्रोता दर्शक जे हमर गीतकेँ पसिन करैत छथि सुनै छथि

एक बेर अपना भाई संग कनेक टा झगड़ा सेहो ' गेलन्हि तहिया मैथिलीमे दाईक नीकसँ अर्थ नहि बुझैत रहथि जे बहिनकेँ लोक सेहो कहैत छैक जे दाई कने एमहर आउ। ताहि पर रुसि गेल रहथि। एकटा मैथिलीक गोसाउनिक गीतकेँ रिकॉर्डिंग तक करबाक लेल म्यूजिक कंपनी तैयार नञि छल ओकरा कतेक बुझा ' कहलनि जे यदि गीत नञि चलत तँ आहाँक लागत मूल्य हमरा जेना पार लागत हम वापिस ' देब।  गीत छल -----

जय जय भैरव असुर-भयाउनि, पसुपति-भामिनि माया। सहज सुमति बर दिअ हे गोसाउनि अनुगति गति तुअ पाया॥

छठिक गीत पर हमरा ततेक ने आशीर्वाद भेटल अछि जे हम अभिभूत छी।  सोना सठकोनिया हो दीनानाथ हे घुमै संसार -----आन दिन उगे हो दिना, नाथ आहे भोर भिनसर आहे भोर भिनसर  आजुके दिनमा हो दीनानाथ हे लागल एतेदेर -------- छैठक गीत होइ की समा चकेबाक गीत होइ वियाहक गीत होइ आकि दोसर पारम्परिक गीत होइ कोनो विधाक गीत हिनका सँ बाँचल नञि अछि। हुनकर पूरा बिहारवासी सँ एकटा अपील छलन्हि जे नीक गीत लिखू नीक कम्पोज करू जाहि सँ समाजमे एकटा मैसेज जाइक। आहाँमे अगर गुण अछि तँ आहाँ अबस्से लोक द्वारा पसिन कएल जाएब। 

मातृभाषा मैथिलीके विस्तार करबाक लेल छोट छोट त्रुटि पर ध्यान नञि ' ओकरा विस्तार केना बेसी कएल जाए ताहि पर ध्यान देबाक आवश्यकता छैक। बाबा---बाबा पुकारे बाबो नहो बोलल हे --- माय हे बाबा भेलनि धन लोभित-- धनहि लोभायल हे---- माय हे चुटकी सिनुरबा के आधीन नैहर जुलुम भेल हे--- सखि फूल लोढ़’ चलु फुलबरिया सीताकेँ संग सहेलिया-----

एकटा  बड्ड फेमस गीत जे प्रायः भौजी सभकेँ बेसी पसिन हेतन्हि ----उजर बगुला बिन पिपरो सोभे -- कोयल बिनु बगिया ना सोभे राजा --- भाई भतीजा बिनु नहिरो सोभे --- देवर बिनु अंगना ना सोभे राजा

पटना के घाट पर हमहूं अरघीया देहब हे छठि मइया----शानदार साड़ी, माथ पर गोल लाल बिंदी, गलामे नमहर माला आ चेहरा पर मुस्कान। शारदा सिन्हाक ख्याल अबिते इ सबटा बात स्वतः संस्मरणमे  आबि जाएत छैक। हिनका साड़ीक बड्ड शौख छल। दिल्लीक एम्समे अंतिम समय तक बिंदी  हिनकर माथक शोभा बढ़बैत रहल। अस्पतालमे ऑक्सीजनक सपोर्ट पर सेहो वो  रियाज केलन्हि। आ तकर वीडियो सेहो शेयर कएने छलीह। वो स्वयं बेगम अख्तर आ लता मंगेशकरक गीत सबहुँकेँ खूब पसँद करैत छलीह।

कोविडक समयमे  जखन अस्पतालमे रहथि तँ लता जीक दर्द भरल गीत अपन आवाजमे रिकॉर्ड सेहो कएने छलीह - यूं हसरतों के दाग... मुहब्बत में धो लिए... यूं दिल से दिल की बात कहीं और रो लिए। शारदा सिन्हा आब नहि  रहली।  हुनकर खनकैत आवाज जे सिहरन पैदा करैत छल ... आब चुप भ' गेलीह मुदा वो जे  गीतक खजाना द' गेलीह ... से अनमोल धरोहर अछि आ चिरकाल धरि रहत। पटनाक घाट पर हिनकर अंतिम संस्कार भेलन्हि। आ एक दिस हिनकर गीत सँ छठि पुजा अर्चना होइत रहल आ दोसर दिस इ पंचतत्वमे। फेर हुनकहि छठिक गीत सब याद आबि रहल - पटना के घाट पर हमहूं अरगिया देहब हे छठि मइया... हम न जाइब दूसर घाट... देखब हे छठि मइया।

एहि सबसँ आर बेसी ख्याति भेटलन्हि। अपन आवजसँ मैथिली - भोजपुरी आन भाषाक लोक गीत खूब गौलन्हि लोक संगीतक समृद्ध परम्पराकेँ खूब आगा बढ़ौलन्हि। एहि बातक विशेष ध्यान रखलीह कि कहियो घटिया द्विअर्थी गीत कहियो नै गौलीह।


अगिला जन्ममे सेहो शारदा सिन्हा बनी
---वर्ष 2016 मे पटनामे जागरण फिल्म फेस्टिवलक मंच पर वो अपना जीवनक कएटा संस्मरण साझा केलन्हि। वो कहलीह कि जखन मायकामे  पहिल बेर मंच पर गेलौं तँ गांवक लोक एकरा बिरादरीक अपमान बतौलन्हि मुदा हमर पिता आ घरक अन्य लोक एकर समर्थन केलक। एहिना सासुरमे साउस सेहो मंचीय कार्यक्रम सभसँ नाखुश रहैत छलीह मगर पति हुनका सदैव संग देलखिन्ह। वो इहो कहलन्हि जे वियाहक बाद एकटा व्यक्ति सिन्हा साहब सँ कहलन्हि - केहन लोक छी आहाँ, जे अपन पत्नीकेँ नचाबैत - गबाबैत छी।  एकरा किछुए दिनक बाद जखन जै-जै भैरवी असुर भयाउनि गीत लोकप्रिय भेल तँ वैह व्यक्ति शारदा सिन्हाकेँ  देवी कहलाह। अहि साक्षात्कारमे शारदा सिन्हा जी कहलन्हि - अगिला जन्म सेहो हम शारदा सिन्हाक रूपमे लेबए चाहब।

शारदा सिन्हा जे गौलन्हि तकरा ताउम्र जीलन्हि सेहो, तैं हिनक गीत मिठ्ठ, सच्च आ सोहन गर लगैत अछि, मनमे उतरि जाएत अछि। इ एकटा अजीब संयोग छैक जे दुनिया भरिमे छठिक गीतसँ गुंजमान करै बाली शारदा जी अपने कहियो छठि पावनि नहि केलीह। वो कहैत छलीह जे ''छठिक गीते हमर अर्घ्य अछि।  हमरा एहि  बातक संतोष अछि जे हमर गीत लोककेँ  छठि पावनि सँ  जोड़ैत अछि। हम एकरे अपन जबाबदेहिक रूपमे लैत छी। हमर इच्छा अछि जे जहिया धरि संभव होइक हम छठिक गीत गाबि अपन जिमेदारी निभाबी। आ वो एकरा बखूबी निभौलन्हि सेहो । कैंसरक जंग लड़ैत दिल्लीक एम्स सँ वो अपन अंतिम छठिक गीत रिलीज केलन्हि - दुखवा मिटाई छठी मइया...।

साल 2017 सँ मल्टीपल मायलोमा सँ  जूझि  रहल छलीह शारदा सिन्हा  --शारदा सिन्हाक आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर हुनकें द्वारा  गाओल गीतदुखवा मिटाईं छठी मईयांएक दिन पहिने देल गेल छल। गीत कदाचित हुनकर  मनःस्थितिके  दर्शाबैत छल, जखन वो खराब स्वास्थ्य सँ जूझि  रहल छलीह एम्सक एकटा अधिकारी बतौलन्हि, ‘शारदा सिन्हाक सेप्टीसीमियाक कारणरिफ्रैक्टरी शॉक चलते 5 नवम्बर 2024 राति नौ बाजि ' 20 मिनट पर निधन ' गेलन्हिसिन्हाकेँ पछिला मास एम्सक कैंसर संस्थान, इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटलक  (आईआरसीएच) गहन देखभाल इकाईमे भर्ती  कराओल गेल छलन्हि। शारदा सिन्हा साल 2017 सँ मल्टीपल मायलोमा सँ जूझि रहल छलीह किछु मास  पहिने हुनकर पतिक निधन सेहो ' गेल  रहन्हि। छठि पावनिक नहाय खायक दिन बिहार कोकिलाक रूपमे प्रसिद्ध गायक डॉ. शारदा सिन्हा एहि दुनियां सँ विदा ' लेलन्हि। हिनकर निधन पर बिहार मिथिला समेत पूरा भारत शोक संतप्त ' गेल छल।

देशभरि सँ शोक सन्देशक ताँता लागि गेल  जाहिमे ---

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हाक निधन पर शोक जतौलन्हि आ कहलन्हि जे '' हिनकर जाएब संगीत जगतक लेल एकटा अपूरणीय क्षति अछि। प्रधानमंत्री मोदी 'एक्स' पर सेहो एकटा पोस्टमे कहलन्हि, 'सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जीकेँ निधन सँ अत्यंत दुख भेल। हिनकर गाओल  मैथिली आ भोजपुरीक लोकगीत पछिला  कतेको  दशक सँ बड्ड बेसी लोकप्रिय रहल अछि।' वो कहलाह, 'आस्थाक महापर्व छठि सँ  जुड़ल हिनक सुमधुर गीत सबहुँक गूंज सेहो सदैव बनल रहत । शोकक एहि घड़ीमे हमर संवेदना हिनकर परिजन आ  प्रशंसकक सबहुँक संग अछि। ओम शांति!'

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सेहो प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हाकें निधन पर शोक जतौलन्हि आ कहलन्हि जे हिनकर सुमधुर गायन अमर रहत।  मुर्मू जी ‘एक्स पर लिखलन्हि , 'बिहार कोकिलाक रूपमे प्रसिद्ध गायिका डॉक्टर शारदा सिन्हा जीक निधनक समाचार अत्यंत दुखद अछि। बिहारक लोकगीतकें मैथिली आ  भोजपुरीमे अपन मधुर आवाज़ द' क' शारदा सिन्हा जी संगीत जगतमे अपार लोकप्रियता पौलन्हि ' वो लिखलन्हि , 'आइ छठि पूजाक दिन हिनकर मधुर गीत देश-विदेशमे भक्तिक अलौकिक वातावरण बना रहल हएत।हुनका वर्ष 2018 मे कलाक क्षेत्रमे पद्म भूषण सँ सेहो सम्मानितकएल गेल छल। हिनक सुमधुर गायन अमर रहत। हम हिनका परिवारजन आ प्रशंसककेँ प्रति गहन शोक-संवेदना व्यक्त करैत छी।'

हमरा दिससँ एहि स्वरकोकिला,मिट्ठ बजनिहारि, मिथिलाक दुल्लरि बेटी, जनजनक प्रिय, चिरकाल धरि नहि बिसरबा योग्य, पद्म भूषण डॉ शारदा सिन्हा जीकेँ हृदयसँ श्रद्धांजलि, पुष्पांजलि समर्पित अछि।

 

@संजय झा 'नागदह'

 इ आलेख 'समय संकेत' नामक स्मारिका 2024 मे छपल छल। आभार,अखिल भारतीय मिथिला संघक समस्त स्मारिका संपादक मंडलकें। 


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