शुक्रवार, 1 अगस्त 2025

कुक्कुर बिलाड़ि

 कुक्कुर बिलाड़िमे  देखल झगड़ा कत्तेक बेर 
झपटि उठै छल कूक्कुर एक टुकड़ी रोटी लेल 
गरदनि टुटब डरे सुट्ट दS भागय छल बिलाड़ि 
आब की अपने सब देख पबैत छी एहन लड़ाई ?

केना भेलै से जानि नहि एकर पंचैती 
कोन पंच केलक केना फरियौलक से के कहत 
बुझना जाइया कहने हेतै घर ओकर आ बाहर तोहर 
जहिया धरि इ फतबा मानबै,
ततबे दिन धरि पंचायती के रहतौ मोजर 

कए दशक सं देख रहल छी सूझ - बूझ 
कुक्कुरक पिब रहल अछि बिलाड़ि दूध 
सूझ बूझ आ बुधियारीमे भS  रहलै आगा 
मनुखक बुधियारीमे नहि जानि छै की बाधा !

@संजय झा 'नागदह'


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बीहनि कथा - चुप्प नै रहल भेल ?

रातुक बारह बजे कनियां सं फोन पर बतियाइत छत पर गेलौं कि देखैत छी आगि लागल। जोर सं हल्ला कैल हौ तेजन हौ तेजन रौ हेमन .. अपन पित्तियौत भैयारी स...

आहाँ सभक बेसी पसन्द कएल - आलेख /कविता /कहानी