हिन्दी अन्य लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
हिन्दी अन्य लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 19 जनवरी 2016

आज (18/08/2015) दो संदिग्ध लोगों को पुलिस की तत्काल हिरासत में देने में सफल हुआ ।

आज दो संदिग्ध लोगों को पुलिस की तत्काल हिरासत में देने में सफल हुआ । कैसे ?
आज अस्वस्थ होने के कारन कार्यालय नहीं जा सका। दो लोग पैंट ,टी सर्ट पहने चंदा मांगने आये। मेरी पत्नी से कहा की यहाँ भंडारा हो रहा है ,आप अपना सहयोग दीजिये किसी ने हजार दिया है तो कोई इतना, कोई उतना , इस तरह बोल कर रहा था। मैं एक कमरे लेटा हुआ था , बोली कोई चंदा माँगने आया है जरा देखिये कौन है ? मैंने कहा आप ने दरवाजा क्यों खोला ? बोली आप घर में थे इसलिए। देखिये कौन है ?
मैं दरवाजे पर गया पूछा - जी बताइये क्या है ?
संदिग्ध - भंडारा करवा रहे है ,इसलिए सहयोग चाहिए।
मैं - कहाँ ?
संदिग्ध - यहीं जिन्दल रोड पर।
मैं - कौन करवा रहा है ?
संदिग्ध - (छणिक मौन होकर) शिव शक्ति बाले हैं।
मैं - कौन हैं ये शिव - शक्ति बाले ?
संदिग्ध - दो भगवान की फोटो देते हुए , ये
मैं - ये क्या है ? ये तो फोटो है। यहाँ ऐसा प्रायः कोई नहीं है जो इस तरह काम करे और मुझे पता न हो ? नाम बताओ कौन करबा रहे है ?
संदिग्ध - फिर उसने एक विजिटिंग कार्ड निकालकर दिया। (कार्ड पर लिखा था "प्राचीन श्री शिव शक्ति शिशु आश्रम अन्नक्षेत्र भंडार (रजि ०) ,ऋषिकेश रोड, हरिद्वार। )
मैं - तो आपका ये सस्था तो हरिद्वार की है , आप कह रहे हो की जिंदल रोड पर भंडारा कराओगे , चलो मेरे साथ बताओ कहाँ भंडारा करोगे ? यहाँ ऐसा शायद कोई नहीं है जो इस तरह का नेक कार्य करे और मेरे जानकारी में न हो। फिर मैंने पूछा - कहाँ रहते हो ?
संदिग्ध - शाहदरा।
मैं - (दूसरे संदिग्ध से ) और तुम ?
संदिग्ध - (दूसरा संदिग्ध पहले से ) तुम ही बता दो।
संदिग्ध - (पहला संदिग्ध ) यहीं रहते है।
मैं - (मुझे इसी बात पर संदेह हो गया ) मैंने कहा - रुको पहले चौकी फोन करता हूँ। (और मैं फोन लेने घर के अंदर आया )
फिर जैसे ही गेट पर जाता हूँ दोनों फरार। चारो तरफ ढूंढा कही दिखाई नहीं दिया। फिर अपने पडोसी मित्र श्री राजेश गुप्ता जी को आवाज दिया, वो भी आज किसी कारन वश घर में ही थे। फिर दोनों मिलकर ढूंढा , अगल - बगल से पूछा कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला। मुझे लगा की वो घर के पीछे से एक रास्ता है उधर से निकल गया। फिर हमदोनो ने सोचा की चौकी को इस बात से अवगत कराया जाय। दोनों चौकी गए और चौकी इंचार्च श्री राठौर जी को पूरी कहानी सुनाया। चौकी इंचार्च श्री राठौर जी ने तत्काल पी सी आर को सुचना दिया की इस तरह के दो व्यक्ति कही दिखे तो उसे पकड़ कर चौकी ले आना। फिर हमलोग वापिस हो गए। रास्ते में दोनों हमदोनों ने सोचा की एक बार पूरा कॉलोनी जहाँ तक संभव हो खोजते है मिल जाएगा तो ठीक रहेगा। हम दोनों ने अपने अनुमान के अनुसार उसे ढूंढना शुरू किया और वो दोनों मिल गया। फिर हमने तुरंत पी सी आर को कॉल किया और पी सी आर वैन एक मिंनट में हाजिर हो गया। दोनों को पी सी आर वैन में बिठा चौकी बिदा किया और हमदोनो भी पीछे -पीछे चौकी गए। चौकी में श्री राठौर जी थे ही और उन्होंने पूछताछ करना शुरू कर दिया ,मगर जबाब संतोषप्रद नहीं था। इसलिए दोनों को चौकी की हिरासत में आगे तहकीकात के रख लिया गया।
हमलोग घर आ गए , अब चौकी की कार्रवाई अपने हिसाब से होगा, जैसा पुलिस पूछताछ के अनुसार सही हो। पर हमने एक जिम्मेवार और सतर्क नागरिक होने का अपना धर्म निभाया।

संजय झा "नागदह" 
दिनांक :18/08/2015

सोमवार, 18 जनवरी 2016

अखिल भारतीय ब्राम्हण महासभा डी एल एफ अंकुर विहार दिनांक 17 /01 / 2016 को भाग लिया।

बीजेपी गाजियाबाद जिला अध्यक्ष श्री नन्द किशोर गुजर जी को स्वागत करते हुए।


लोनी नगर निगम चेयर मैन श्री मनोज धामा जी संत जी को सम्मान करते हुए।


पं हिमाँशु शर्मा जिला उपाध्यक्ष भाजपा युवा मोर्चा गाजियाबाद के साथ 



सुदेश भरद्वाज बीजेपी लोनी मंडल अध्यक्ष के साथ 

रविवार, 17 जनवरी 2016

रास्ते की कहानी

एक बार मैं कहीं से गुजर रहा था कि अचानक मेरी गाडी के सामने एक मोलवी साहब ने रुकने का इशारा किया।  मैंने अपनी गाडी रोका पूछा बताइये जनाब क्या बात है ? उन्होंने कहा क्या आप वहां जा रहें हैं ? मैंने कहा जी जनाब।  फिर उन्होंने मुझसे कहा मुझे छोड़ देंगे मैंने क्यों नहीं --जरूर... बैठिये।  रास्ते में उनसे बात - चित होने लगा।  मैंने पूछा क्या करते हैं? जबाब दिया मैं मदरसा में तालीम देता हूँ।  मैंने कहा बहुत खूब ये तो बहुत अच्छी बात है।  बात ही बात में मैंने कहा जनाब आप कोई ऐसा मुहीम चलाइये जिससे गाँव के कोई भी मुस्लिम बच्चा ऐसा न रहे जो तालीम से छूट जाए।  क्योकि आज कल लोग धर्म मज़हब के नाम पर लोगो को भ्रमित कर रहें है।  अगर अच्छी तालीम सभी बच्चो को मिलेगा तो कम से कम अपनी एक अच्छी सोच विचार के बाद ही कोई कदम उठाएगा।  जब तक अच्छे संस्कार नहीं देंगे अच्छी तालीम नहीं देंगे तब तक वही कहाबत चलता रहेगा " मुर्ख की लाठी सीधे सर पर", अभी भी जो हिन्दू - मुस्लिम वर्ग शिक्षित हैं कहाँ लठ उठा कर आगे आते हैं ? इसलिए ध्यान रख्खे की एक भी बच्चा तालीम से न छूटे। यही इस चलते मुसाफिर से निवेदन है - मोलवी साहब ने कहा बहुत अच्छी बात कहा आपने झाजी हमारी पूरी कोशिश होगी की आपके बातों को ध्यान रख्खें।  जब उनको हमने उनके मंजिल पर उतार दिया तो उन्होंने फिर ये बात दोहराते हुए हाथ हिला कर मुझे आगे जाने के लिए बिदा किया। 

    ----संजय झा "नागदह "

शनिवार, 16 जनवरी 2016

बाय बाय

न खुद का पता

 
न खुदा का पता 



बैठा हूँ कहाँ ?



न इसका पता 



न सोच का पता



न समझ का पता 



जैसी बजी घंटी 



मेरी फोन की 



सब कुछ हो गयी लापता 



क्योकि फोन उठाते ही 



उन्होंने बता दी अपनी पता 


अच्छा चलते है ---बाय बाय


--- संजय झा "नागदह"

दिनांक - 05/02/2015

इसी का तो नाम है जिंदगी ये हमदम .....

मन मे है विश्वास 
न ख़ुशी आराम करता है 

न गम 

वक्त गुजर जाती है

विना किये गति परिवर्तन
किस घडी को बिता रहे हो 

ध्यान करो 

क्योकि एक जायेगी 

तभी दूसरी आएगी
रास्ता की दुरी तुम्हे पता नहि 

जाने बाले दूसरे को ढूंढ 

पता भी तो बताएगी 

इस बीच 

ना ख़ुशी होगी ना गम
ये मत सोचना 

जिंदगी ऐसी रहेगी हरदम 

मत सोच ज्यादा 

ये तो आती और जाती ही रहती है 

कभी खुशी कभी गम
इसी का तो नाम है 

जिंदगी ये हमदम .....

इसी का तो नाम है 

जिंदगी ये हमदम .....

----- संजय झा "नागदह"
दिनांक - 06 /02 /2015 

आज अन्ना जी फिर से जंतर - मंतर पर सरकार के किसान वरोधी विधेयक के खिलाफ - 
क्या ख्याल है आपका ?
धरती की महत्त्व वो क्या जाने ?
जिसने कभी न बोया बीज 
फसल उगाया मेह्नत करके 
भींगा पसीना से सम्पूर्ण शरीर 
वो क्या समझे पीर ?
मत छीनो ये धरती उससे 
रहने भी दो थोड़ी 
बढ़ते जनसंख्या को देखो 
कहाँ से लाओगे तुम रोटी
अधिग्रहण का ग्रहण लगाकर 
हो गए कितने भूमि हीन
थोड़ी सी तो बची हुई थी 
उसको भी तुम रहे हो छीन
संजय झा "नागदह"

गंदे पानी की धार जब तेज रहती है तो उसके ऊपर की झाग बहुत सफ़ेद और सुन्दर दिखती है जबकि अंदर किसी भी तरह की परिवर्तन नहीं होती . वही जब स्थिर होता है तो वो अपना पूर्ण स्वरूप में ही दीखता है . इसलिए जरुरी नहीं है की सुन्दर दिखने बाली मनुष्य , वस्तु सुन्दर ही होगा इसे गहराई से जांच और परखना चाहिए . शायद यही कारन होगा की सेक्सपेयर ने कहा होगा - "All that glitters is not gold" 

                                                                - Sanjay Jha "Nagdah"

शब्द का रक्खे ध्यान !!

तीर - कमान का घाव उतना दर्द नहीं देता, जितना शब्द बाण का घाव (कभी भी सीने में चुभने लगती हैं ) हार्ट अटैक का एक ये भी कारन हो सकता हैं

                 - संजय झा "नागदह"

शायरी

हम तो उठ खड़ा हो गये -
जज्बाते इश्क देखकर
इस तूफ़ान में शमाँ - 
बेसक जल भी जाए
शमाँ जलते ही खुद बुझ गयी - 
जलाती हुई शमाँ को देख कर।

---- संजय झा नागदह
Dated : 13/01/2016


जुवां सहम गयी तेरी दीदार से 
 ऐसा लगा अमावस कि रात पूर्णिमा हो गई 
जैसे ही कि तुमने जाने कि बात 
 वही दिन और वही रात हो गई । 
 --------संजय झा "नागदह"
Dated :22/03/2014


इंकार मुहब्बत कौन करे 
जब डूबा दोनों प्यार कि सागर में
पहले तुम निकलो तो तुम निकलो 
 दोनों डूब गए इस सागर में। 
-----------संजय झा "नागदह"
Dated :22/03/2014

मांझी के जातिवाद बयान का घोर निंदा - मिरानिसे

Home »  » मांझी के जातिवाद बयान का घोर निंदा - मिरानिसे

मांझी के जातिवाद बयान का घोर निंदा - मिरानिसे

Edited By Rajneesh K Jha on मंगलवार, 30 सितंबर 2014

live aaryaavart dot com
जातिवाद का जहर ये आज से नहीं बल्कि शुरू से फ़ैलाने में लगे हुए हैं. कभी अनुसूचित जाति के लोगों को कहते हैं खूब बच्चें पैदा करो. दुर्भाग्य है बिहार के अनुसूचित जाति के साथ जहां माझी को ये सोचना चाहिए की गरीबों के बच्चे को कैसे शिक्षित किया जाय, कैसे उनको ऊपर उठाया जाय इसके बदले वो कहते हैं की खूब बच्चे पैदा करो और सरकार बनाने के लिए वोट बैंक तैयार करो. इससे उस गरीब को क्या मिलेगा ? वर्तमान में मिथिला क्षेत्र में आने पर जहां विकास की बात करना चाहिए था , वहां जातिगत राजनीती की महाजाल फेंक रहें हैं, जिस मंदिर में वो आशीर्वाद लेने गए थे वहां की तालाब की सौन्दर्यी करन पर जोर देना चाहिए था इसके बजाय उन्होंने पूजा अर्चना करने के महीनो बाद पूरा सोच विचार कर जाति वाद पर राजनितिक करने का असफल प्रयास किया. मैं खुद भगवती के आशीर्वाद से वहां माता परमेश्वरी से आशीर्वाद प्राप्त कर चूका हूँ. 

मैंने देखा है की मंदिर से कुछ ही दूर चमार जाति के कई घर हैं और सब मैया के दरबार में हाजिरी लगाता है. एक अच्छे संस्कार में वहां के सभी जाति के लोग रहते हैं सब मैया के आशीर्वाद से खुशहाल हैं. मैया के दरबार का साफ़ साफ सफाई तो नित्य ही सुवह शाम एवं जरुरत पड़ने पर कभी भी होती हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा इस प्रकार जातिवाद का जहर मिथिला क्षेत्र में फैलाकर शांति भंग करने प्रयास किया है. मिथिला राज्य निर्माण सेना - दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष के नाते इस तरह की बयान का  घोर निंदा करता हूँ और मिथिला वासी से अपील करता हूँ अखंड सर्व जातिय एकजुटता सदैव की भांति कायम रख ऐसे बयान पर ध्यानाकर्षण न करे, और समय आने पर मिथिला हित में फैसला ले

30/09/2014
http://www.liveaaryaavart.com/2014/09/mrns-condemn-manjhi-statement.html

quotes / उद्धरण

भूख हर इंसान को होती है ,किसको किस चीज की है ये तो उसकी
प्रकृति पर निर्भर करता है ।
                                            ---संजय झा "नागदह "


कोई ऐसा शव्द ही नहीं है जिसे पहले किसी वाक्य रूपी माला में पिरोया न गया हो।

                                            ----संजय झा " नागदह"

"साहित्य के समुद्र में जितना डूबता हूँ उतना ही डूबने का मन करता है और मन को उतनी ही शान्ति और आनन्द मिलता है जितना की असहज गर्मी के मौसम में तालाब के अन्दर बैठे रहने पर सुन्दर शीतलता " 
                                      
                                         -----------संजय झा "नागदह"

छल रहित व्यवहार आज के परिवेश में छला जाता है। 

                                    
                                                       --- संजय झा "नागदह"


राम और रहीम की नाम भी मालाओं पे गिन के लोग लेते हैं 
पर वो माला नहीं बनीं - जिस पे गिन के लोग यारों के नाम लेते हैं

                                                     
                                                         -----संजय झा "नागदह"

जिस दिन आप मन कर्म और वचन से शुद्ध हो जायेंगे
- पराये ढूंढने से नहीं मिलेगा

                                    
                                                   ---------संजय झा "नागदह"


किसी भी चीज से ज्यादा जरुरी है - चरित्र निर्माण , इसके बिना है सब बेकार !! 
                                               ----- संजय झा "नागदह"

भूख हर इंसान को होती है ,किसको किस चीज की है ये तो उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है 
                                                  ---- संजय झा "नागदह "



"knowledge is the eye to see abstract things".

                                                      - Sanjay jha "Nagdah"







quotes / उद्धरण






तलाश कर देखो खुद को  …
जेब नहीं भाई।



तलाश कर देखो खुद के
दिलों और दिमाग को
नशीहते जो बाँट रहे हो
खुद में है भी ?


आप कब आओगे ?

रास्ते चलते - चलते आँख अपना काम तो वेहीचक करता ही है, चाहे कुछ अच्छा दिखे या बुरा । आँख तो देखने का ही काम करता है, देखने मात्र से तो कुछ नहीं होता, होता है तो तब, जब देखने के बाद जब ये मन और ह्रिदय को छू जाती है । चाहे कुछ अतिसुंदर,बदसूरत, ख़राब,घटना, दुर्घटना, कुछ भी  दिखे असर तो सब में ही होता है । इसमें आँख का दोष क्या ? किसी भी घटना का जिम्मेदार कोई स्थान नहीं होता, होता है तो इसका रखवार,इसका देखभाल करने बाला। वैसे आजकल सभी नगर और महानगर में , पार्क के आस-पास, सड़क पर ,कार में , दू पहिया वाहन पर , और यहाँ तक की पब्लिक पैलेस पर भी युगल जोड़ी एक -दुसरे से ऐसे चिपके रहते हैं की आँख पड़ने मात्र की देर है । फिर शालीन से शालीन लोगो  की भी आँख देखते ही देखते रह जाती है , और मन ही मन अपने नजरिये से आलोचना करते हुए निकल जाते है । ऐसे में युगल जोड़ी भी खतरे में और राही/दर्शक भी, लेकिन संभालना किसे है । जोड़ी को या राही को? किसको समझाए दोनों के पास मन ही तो है जो काबू में नहीं है, ऐसे में दुर्घटना का होना तो स्वाभाविक ही है । पर ऐसा भी नहीं की सडको पर दुर्घटना सिर्फ इसी तरह के कारण से होता है, और भी अनेक कारण हो सकता है। क्या सभी युगल जोड़ी एकांत हो जाय तो घटना रूक जायेगा? नहीं , ऐसा संभव नहीं है ।
 बहुत सी ऐसी सुन्दर बाग़, इमारत, सुंदर चीजे, सुन्दरी, दिखाई देती है जिससे लोगो का ध्यान भंग होता है, ठीक इसके विपरीत अगर कोई बदसूरत, कुरूप, अधिक मोटा-मोटी, घटना और दुर्घटना भी रास्ते में दिखती है जिससे ध्यान भंग होता है, जिसके कारण दुर्घटना होने की सम्भावना बढ़ जाती है । जरुरत है सड़क पर एकाग्रता की , सड़क पर ध्यान रखने की , परिवहन के नियमो का पालन करने की जिससे आप सकुशल घर पहुँच सकते है । क्योकि घर पर आपका कोई इंतज़ार करता है ,और मन ही मन पुकारता रहता है , आप कब आओगे ?
संजय कुमार झा "नागदह" 

Dated : 07/08/2013

बीहनि कथा - चुप्प नै रहल भेल ?

रातुक बारह बजे कनियां सं फोन पर बतियाइत छत पर गेलौं कि देखैत छी आगि लागल। जोर सं हल्ला कैल हौ तेजन हौ तेजन रौ हेमन .. अपन पित्तियौत भैयारी स...

आहाँ सभक बेसी पसन्द कएल - आलेख /कविता /कहानी