शनिवार, 16 जनवरी 2016

शायरी

हम तो उठ खड़ा हो गये -
जज्बाते इश्क देखकर
इस तूफ़ान में शमाँ - 
बेसक जल भी जाए
शमाँ जलते ही खुद बुझ गयी - 
जलाती हुई शमाँ को देख कर।

---- संजय झा नागदह
Dated : 13/01/2016


जुवां सहम गयी तेरी दीदार से 
 ऐसा लगा अमावस कि रात पूर्णिमा हो गई 
जैसे ही कि तुमने जाने कि बात 
 वही दिन और वही रात हो गई । 
 --------संजय झा "नागदह"
Dated :22/03/2014


इंकार मुहब्बत कौन करे 
जब डूबा दोनों प्यार कि सागर में
पहले तुम निकलो तो तुम निकलो 
 दोनों डूब गए इस सागर में। 
-----------संजय झा "नागदह"
Dated :22/03/2014

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