रविवार, 3 अगस्त 2025

महामहोपाध्याय गंगानाथ झाक “कवि रहस्य’क मैथिली अनुवाद : अश्विनी कुमार तिवारी

एकटा साधारण व्यक्ति द्वारा एकटा असाधारण कृति पर एकटा सार्थक प्रयास कयल गेल। ई काज अचानके सामान्य साधारण व्यक्ति के आगाँ असाधारण व्यक्तित्व मे बदलि देबाक सामर्थ्य रखैत अछि। जाहि व्यक्ति के चर्चा अतय क रहल छी से छैथि हमर सहपाठी श्री संजय झा। संगी छथि, सहपाठी छथि, सेहो हाफ पैंटक जमाना कें तैं कने आवश्यक झुकाव परिलक्षित भ सकैत अछि।
आब एकटा असाधरण व्यक्तित्व के चर्चा करैत छी जिनका मिथिला के कहय सम्पूर्ण भारत मे शायदे कियो हैत जे हिनका नहि जनैत होयत ओ छथि म० महो० उपाध्याय डा० सर गङ्गा नाथ झा। हिनक एक समय मे देल गेल तीन टा व्याख्यान ( १९२८-२९ ) के संकलित कय एकटा हिंदी भाषा मे पोथी आयल जकर नाम छल कवि रहस्य।
आब एकटा तेसर व्यक्तित्व के चर्चा करै छी जे प्रत्यक्ष रूप सँ त अहि पोथी सँ जुड़ल नहि छथि मुदा अहि पोथी ( अनुदित ) मे सर्वत्र विद्यमान छथि आ से छथि मिथिलाक विद्वत धाराक एकटा महत्वपूर्ण स्तम्भ डा० सुभद्र झा। संजय झा हिनके गाम नागदह के छथि आ बचपन मे हिनक नेह छोह प्राप्त कयने छथि।
संजय झा अहि पुस्तक कवि रहस्य के मैथिली अनुवाद कयने छथि। अनुवाद मे जाहि प्राञ्जल मैथिली भाषाक व्यवहार भेल अछि तकर आधारभूत भाव के धार डा० सुभद्र झा सँ आबैत अछि आ संजय जी पूरा प्रयास कयने छथि यथा सम्भव सक्क भरि ओकर निर्वहन करैथ। कतहु कतहु असफल सेहो भेल हेता किएक त समयक प्रभाव भाषा पर पड़ने बिना रहि नहि सकैत अछि।
किताब के अनुवाद पर गप करी त अनुवाद के सार्थकता अही मे अछि जे अनुवादक अपना केँ अपन विचार केँ आ अपन सोच केँ विषय वस्तु सँ अलग राखथि आ जे जेना छै तकरा तहिना एक भाषा सँ दोसर भाषा मे भाषांतरण क दैथ। हमरा जतेक पढ़ि क अनुभव भेल ताहि आधार पर कहि सकै छी जे अनुवादक अपन काज मे काफी हद तक सफल भेल छथि।
विषय वस्तु के चर्चा नहि करब त अहि काजक औचित्य पूरा नहि होयत। ई अनुदित पोथी दू भाग मे बँटल अछि। पहिल भाग काव्य आ कवि के उत्पत्ति स सम्बद्ध अछि आ दोसर भाग कवि चर्या अर्थात कवि कर्म सँ सम्बंधित अछि।
सर गङ्गा नाथ झा अपन व्याख्यान मे वेद पुराण आ विभिन्न संस्कृत ग्रंथक उदाहरणक आश्रय लय काव्य के उत्पत्ति आ विकास के सोझा रखने छथि। कवि के कर्म ओकर ज्ञान ओकर अध्य्यन क्षेत्र ओकर पहिचान चिह्न आदि के विशद व्याख्या कयने छथि आ अकर अनुवाद सेहो संजय जी बहुत नीक सँ होझा ल आयल छथि।
सस्कृत के श्लोक आदि अहि अनुदित पोथी मे अपन मूल रूप मे अछि आ व्याख्या अनुदित मैथिली मे।
आब एकटा महत्वपूर्ण प्रश्न उठैत अछि जे आखिर हिंदी कोनो एहन भाषा त नहि अछि जकरा मैथिली भाषा भाषी जनैथ नहि होथि तहन एहन श्रम साध्य काज करबा आखिर की औचित्य अथवा उद्देश्य। हमरा लगैत अछि अकर दू टा कारण रहल होयत पहिल कि ई पोथी बहुत पुरान अछि आ करीब करीब लुप्त प्राय अछि तैँ अकर उपयोगिता देखैत नव कलेवर मे अकर आयब जरूरी लागल होयतन। आ दोसर जे सर्वाधिक महत्वपूर्ण अछि जकर चर्चा करैत अपन अहि पोथी मे डा० सर गङ्गा नाथ झा स्वीकारय छथिन्ह जे जहन हिंदी मे हुनका सँ व्याख्यान देबय कहल जाइ छन्हि त हुनका लाज होइ छन्हि कारण जे हिंदी हुनक मातृभाषा नहि। हुनक मातृभाषा अछि मैथिली आ संजय झा के सम्पुर्ण पुस्तक केँ मात्र ई एकटा पाँति अकर मैथिली अनुवाद करय लेल विवश क देने हैतैन।
पुस्तक मे नगण्य त्रुटि के प्रयास रहितो किछु अवश्य रहि गेल अछि तथापि संजय झा संगे हुनक प्रकाशन नवारम्भ के अजित जी अकर प्रकाशन मे बहुत मेहनति कयने छथि। पुस्तक के भाषा आ आइ काल्हि जे प्रचलित भाषा अछि ताहि पर दुनू मे बहुत घमर्थन भेल होयतन से लगैत अछि। मुदा अनुवादक भाषा पर सुभद्र झा के प्रभाव बहुत हद तक बाँचल रहि गेल अछि तैं अनुवाद मे मैथिली भाषाक नीक स्वरूप के दर्शन होइत अछि।
एकटा आग्रह कवि लोकनि सँ जे अहि पोथी के अवश्य पढ़ी ताकि काव्य कर्म के औदार्य आ औचित्य समझि सकी। जानि सकी जे कवि के आखिर समाज मे आइओ अतेक प्रतिष्ठा प्राप्त अछि से किए आर की करी जे ई प्रतिष्ठा अक्षुण्ण रहि सकय। जे पाठक छथि से यदि अहि पुस्तक के पढ़ता त हुनक साहित्यिक समझ के परिष्करण निश्चित रूपेण हेतैन।
पोथी : कवि रहस्य ( महामहोपाध्याय सर गङ्गानाथ झा )

अनुवादक : संजय झा ‘नागदह’
प्रकाशक : नवारम्भ प्रकाशन
पृष्ठ संख्या : 104
मूल्य : 200/- टका ( भारतीय )
अहि पोथीक लेल मित्र संजय झा के बहुत बहुत शुभकामना। मैथिलीक लेल अहिना काज करैत रहथु।
-------- अश्विनी कुमार तिवारी ( 03/07/2021 )

महामहोपाधयाय सर गंगानाथ झा लिखित कवि रहस्यक, मैथिली अनुवाद हमर सिनेही संजय झा नागदह जीक

 दू दिनसँ हम भोपालमे छी अपन एकटा चाउर मिल प्रोजेक्ट पर , आइ रातुक ट्रेनसँ दिल्ली घुरब..

हम जखन कखनो अपन कोनो प्रोजेक्टपर जाएत छी त’ यात्रामे कुनो ने कुनो पोथी पढ़ैत छी । दू दिन पहिले चतुर्थ आयाम उपन्यास इ नमोनाथ जी लिखितक हिंदी अनुवाद आदरणीय सियाराम झा सरस जीक द्वारा पठाओल गेल छल, पढलहुँ, नीक उपन्यास धरतीसँ ब्रह्मांड धरिक कथामे संयोजन , विज्ञान , अंतरिक्षक रुचिगर , बान्हल उपन्यास । पाठककेर इतिसँ अंत धरि बन्हबामे पूर्ण रुपेण सुफल । एकटा उद्योगपतिक व्यापारिक यात्रा , परिवारिक संबंध , पति पत्नीक पारस्परिक विश्वास , अन्ततोगत्वा संन्यासी बनब , यथार्थक चित्रण करबामे लेखक सुफल रहलाह । मुख्य पात्र दारुका जी जे थ्री डी नामसँ प्रसिद्ध, हुनक अपन अर्द्धांगिनीक लेल सभ किछु समर्पित, जकरा प्रेमसँ किछु आओर कहि परिभाषित करब अतिशयोक्ति नहि, एहेन प्रेम कमे देखल जाएत छैक, ओ अपन पत्नीक सहपाठीकेर अपन व्यापारिक साम्राज्यमे दोसर स्थान देलाह, हुनक अपन मिथिलानी पत्नी अनुपमा साहू, जकरा ओ अनु कहि सम्बोधित करैत छथि, अनुकेँ लेल ओ सभकिछु त्यागै लेल तैयार , हुनक ख़ुशीमे दारुकाजीक खुशी, सायते संभव भ’ सकैत अछि , मुदा की ओ पत्नी हुनको लेल ओतबे समर्पित छली एहि उपन्यासक’ जखन पढब तखन पता लागत । की नायिका अनु अपन सहपाठी दीपक ढोलकिया जी लेल किछु मोनमे रखैत छथि ?ढोलकिया जी अपन सचिव रेखा भटनागर जी लेल हिया हारल, की रेखाक मोनमे हुनक स्थान छैक आकि बस व्यक्तिगत किछो नहि ….
नीक उपन्यास, विज्ञान आ’ अंतरिक्षक रहस्यपर नीक पकड़ आ अपन अनुभवक मिश्रण ।प्रणाम संगेहि हार्दिक आभार सरस जीकेँ, जे हमरा चतुर्थ आयाम पठौलाह ।
आब महामहोपाधयाय सर गंगानाथ झा लिखित कवि रहस्यक, मैथिली अनुवाद हमर सिनेही संजय झा नागदह जीक’ सनेस पढ़ब शुरु केलहुँ अछि ।
आदरणीया शेफालिका दीदी कम शब्दमे पोथी शुभाशंसा लिखली । ई पोथी सभ कवि पढथि , कवि रहस्य की’ थीकैक, से बुझब आवश्यक ।वेद, वेदांग, शास्त्र आ काव्यक केहेन संबंध ,वांग्यमय स्वरूप, काव्य पुरुष , साहित्य- वधू संयोग , शिष्य भेद, काव्यक उत्पत्ति, काव्य लक्षण भेद,शब्द स्वरूप, काव्य पढ़बाक ढंग ,काव्यार्थक मूल , साहित्यक विषय सरिपहुँ कवि लेल रहस्य थीकैक ।
कविचर्या-राजचर्चाक बोध होएबाक चाही कविकेँ,कविक कर्तव्य, कवित्व शिक्षा,राजाक कर्तव्य, चोरी, कवि समय,देश विभाग, काल-समय , नानाशास्त्र -परिचय जानब बहुत आवश्यक छैक, काव्य सृजन लेल ।एक सय तीन पन्नाक ई पोथी हमरा सीखबाक लेल बड़का वरदान ।कविता लिखब एकटा कविक अपन मौलिक विषय थिक,कविता कोना काव्य- सौष्ठव होए, उपमा, अलंकार, विषय वस्तुक सुआद पाठक धरि पहुँचाएब परम कर्तव्य थिक ।
समय लागत मुदा पढब नीकसँ बहुत बहुत हार्दिक आभार प्रिय संजय नागदह जी क’ ।

शनिवार, 2 अगस्त 2025

बीहनि कथा - देह जड़ैए

कतेक सुन्नर वातावरण छल, दरबज्जा पर धीया-पुता सब अपना धुनमे खेल रहल छल। बेरोजगारक एकटा टोली तास खेलबामे व्यस्त आ चारुकात सँ अन्य लोक हां हां ठि ठि मे व्यस्त छल।  आ की उठलै गर्दमिसान दु भाईक मध्य। छोटका कहथि - इ सबटा हँसोथि लेने छथि । आ बड़का कहथि बाज तँ की सब हँसोथि लेने छियौ ? बजबंय तहन ने तोरा हँसोथलाहा द'  देबौ। ओहिठाम एकटा प्रकांड विद्वान उपस्थित छलाह जिनका बुझल छलन्हि जे इ छोटका सबटा फुंसि बजैया, जेठाकाकेँ अनेरे फिरिसान करैए। एहि मध्य छोटका डिरिया - डिरिया क' कहैत हिनका देखिते हमरा देहमे आगि लागि जाइया -- ई बात सुनैत-सुनैत जखन ओ अकच्छ भ' गेलाह तँ बड्ड ओरियाकँ ओकरा कहैत छथि --- हौ, जकरा देहमे आगि लगैत छै सैह ने जड़ैया ! 

@संजय झा 'नागदह'

पोथी : बजितथि जँ उर्मिला ( मैथिली दीर्घ कविता) -पाठकीय


पोथी दिनांक 30 नवम्बर 2024 क' बुराड़ी विद्यापति समारोह स्थल सँ मैत्रियी प्रकाशनक स्टॉल सँ खरीदल। सबसँ पहिल बात जे लेखिका सँ एक दिनक भेंट आ हिनक विद्वता सँ कने परिचित छलहुँ तैं मोनमे भेल जे हिनक लिखल पोथी आ ताहूमे उर्मिलाक मन - कल्पनाक भावना पर केन्द्रित पोथी अवश्य पढ़ि जाहि सँ हमरो किछु ज्ञान मार्जन होए।
आइए कने समय भेटल तँ प्रारम्भ कएल । एहि पोथी पर आशीर्वचन श्रीमान भीमनाथ झा देने छथि।
भूमिकाक स्थान पर प्रयुक्त शब्द पुरोवाक् देखल। हम प्रायः पोथी पढ़बाक शुरुआत एहिठाम सँ करैत छी।
पोथीक भूमिका श्रीमान योगानन्द झा, लहेरियासराय जाहि तरहेँ लिखने छथि ताहि तरहक भूमिका अनन्य मैथिली पोथी सबहुँमे बिरलैके अभरैत अछि। कहैत छथि " प्रस्तुत कथाकाव्य 'बजितथि जँ उर्मिला' रामकथाक एक गोट विशिष्ट पात्रीक कल्पनाप्रसूत व्यथा- कथा पर आधारित अछि। एहिमे उर्मिलाक माध्यमे रामकथाक वाचन कराओल गेल अछि। अत्यन्त संक्षिप्त होइतहुँ ई काव्य सहृदय हेतु मर्मस्पर्शी अछि आ ब्रम्हानंद सहोदरक भुक्तिक संगहि भवरोगसँ मुक्तिक सुसेव्य संसाधन अछि। ई काव्य आभा झाकेँ अपन दिव्य ओ भव्य संस्कृतिक संरक्षिकाक रूपमे अवश्य प्रतिष्ठापित करतन्हि"। हम तँ अल्पज्ञ छी तथापि हिनक कथन सँ सहमति रखैत छी।
जिज्ञासा बढ़ैत गेल। श्रीमती आभा झाक भावांजलि होइत आरम्भ कएल 'बजितथि जँ उर्मिला' क पाठ ।
किछु उद्धरण देखल जाए..
आन जीव बस सुख-दुःख
भावेटा सँ, व्यक्त करै ई तथ्य
अश्रु धेनु केर, कानब श्वानक
पीड़ा किन्तु न प्रकटित कथ्य।
तदपि मनुजमे भेद बहुत अछि
वृत्ति गुणें ओ पाबय मान
हित समष्टि जे त्यागय निजसुख
कालातीत ओकर सम्मान।
जे समाज कल्याणक वेदी
पर निज सुख कएलनि उत्सर्ग
युग पर युग बीतय बरु तनिकर
अमल यशक कायम उत्कर्ष।
एतय किन्तु प्रख्यात नै छथि जे
टोही हुनको मनकेँ आइ
राजभवन नहि, अन्तः पुर-
वासिनीक मनमे की औनाइ।
हम सुनयना, जनक केर
औरस सुता छी उर्मिला
प्रथम पुत्री होइतहुँ
छी ख्यात हम सीतानुजा।
द्विरागमनक अवसर पर, जखन चारु बहिन जनकपुर एलीह...
किंतु सुख वेला क्षणिक
त्रुटि किछु समंधक मूल छल
किंवा विदा केर बेरमे
अतिशय प्रबल दिक्शूल छल।
राज्याभिषेकक समयक के भाव व्यक्त क' रहलीह, से देखु....
छथि भरत दुइ भाई नहि
एहि सुखद अवसर खेद अछि
योग राजक शुभ एखन
नक्षत्र - ग्रह - गति तेज अछि।
धड़फड़ीमे कएल निर्णय
नहि सुखद कहियो रहल
राम सन युवराज कोमल
काननक कष्टे सहल !

वन गमनक उपरान्त दशरथ प्राण तेजल, तकर संदर्भमे देखू...
हाय! भेलै एहि अवधमे
दृष्टि शनि केर घोर कारी
पुत्र- पुत्र करैत भूपति
वरण कएलनि मृत्यु भारी।
चारि सुत, नहि एक ल'गमे
भाग्य की एकरे कहै छै
वा कुमार श्रवण पिता केर
शाप एहि तरहेँ फलै छै ?
उद्धरण अनेक अछि... अन्तमे उर्मिला कहैत छथि ...
बहुत बजलहुँ, बहुत दिनसँ
छल हृदय पर भार
जमल हिम् पघिलब शुरू अछि
अन्त नहि तैं धार।
आइ हमहुँ एकर पाठ कएल, विश्वास अछि जाहि तरहेँ श्रीमान योगानन्द जी कहला जे इ निश्चय भवरोगसँ मुक्तिक सुसेव्य साधन अछि तकर किछु फलाफल तँ हमरो भेटबाक चाही।
अस्तु !

पोथी : बजितथि जँ उर्मिला ( मैथिली दीर्घ कविता)
लेखिका : आदरणीया श्रीमती आभा झा
प्रकाशक : मैत्रेयी प्रकाशन,दिल्ली।
दाम: 150 टाका।
संजय झा 'नागदह'

कवि रहस्य - पाठक लोकनिक संक्षित टिप्पणी


श्री विनोद नारायण झा आ संजय झा नागदह
सर गंगानाथ झाक प्रसिद्ध आ अतिगंभीर पोथी मे सँ एक पोथी 'कवि रहस्य'क मैथिली अनुवाद साहित्यकार श्री संजय झा "नागदह" कएलनि अछि। मधुबनी मे भेंट क' अनुवादित पोथी देलनि आ बहुत रास मिथिला- मैथिली पर विमर्श भेल..!!
संजय जी ई पोथी हुनकर उच्चकोटि क चिंतन-मनन क दिशा उद्घोषित करैत अछि ...!! शुभकामना....

श्री संजय जी भारत सँ बाहर रहितहुँ मैथिली भाषा के लेल बहुत रास काज क' रहला अछि से देख बहुत आह्लादित भेलहुँ..!!
श्री विनोद नारायण झा , पूर्व मंत्री, विधायक बेनीपट्टी


श्री उदय चन्द्र झा विनोद
शास्त्रक समस्त विद्या स्थानक एकमात्र आधार काव्य थिक जे वांगमयक द्वितीय प्रभेद अछि।काव्य के एहन मानबाक कारण ई छैक जे ई गद्य पद्यमय अछि संगहि हितोपदेशक सेहो। ई काव्य शास्त्रक अनुसरण करैत अछिःः से कथा हम नहि कहैत छी , कहैत छथि मिथिलाक वरद पुत्र महामहोपाध्याय सर गंगानाथ झा अपन प्रसिद्ध भाषणक किताब कवि रहस्य मे।1928ः29 मध्य देल गेल भाषण तथा हिन्दुस्तानी एकेडमी द्वारा प्रकाशित एहि किताब पर टिप्पणी करबाक पात्रता हम निश्चिते नहि रखैत छी तथापि एतबा कहब जे ई किताब हमरा सनक लोक लेल बड उपकारक अछि तथा युवा लेखक संजय झा नागदह एकर मैथिली रूपान्तर द्वारा उपकार कयलनि अछि। प्रत्येक कवि के अवश्ये एकर पारायण करबाक चाही। एहि लेल सुन्दर अनुवादक संजय आ नवारम्भक अधिष्ठाता अजित आजाद धन्यवादक पात्र छथि।
स्वनामधन्य झा साहेब भाषणक आरम्भहि मे कहैत छथिः
जखन कखनो हमरा हिन्दी मे व्याख्यान देबाक अनुमति होइत अछि तँ हमरा बड्ड लाज होइत अछि किएक तँ असल मे हिन्दी हमर मातृभाषा नहि अछि।हमर मातृभाषा ओ मैथिली भाषा अछि जकरा दस बारह बरख पहिने तक घृणाक दृष्टि सँ नाम राखल गेल छल छीका छीकी। सर झा गछलनि अछि जे हिनक एहि भाषणक आधार रहल अछि राजशेखर कृत काव्य मीमांसा आ क्षेमेन्द्र कृत कविकंठाभरण। कविक कर्त्तव्य, कवित्व शिक्षा, कविक समय ,राजाक कर्त्तव्य, चोरी, काल समय प्रभृति नाना विषय विवेचित अछि एहि किताब मे। ठीके कहैत छथि जे कविकृत्य वेदान्तक ब्रह्म जकाँ आवागमन सगोचर होइतो सर्वव्यापी सर्वभूता न्तरात्मा अछि। स्वतःस्मरणीय झा साहेब के सादर नमन करैत संजय बाबू के एहि अनुवाद हेतु प्रशंसा करैत छी। पुस्तकक हार्दिक स्वागत।
श्री उदय चन्द्र झा विनोद 17-06-2021

श्री सुनीत ठाकुर आ संजय झा नागदह 
पचासम साहित्यिक चौपाड़ि (दिल्ली एनसीआर) 28 नवंबर 2021 (रवि दिन) सफलतापूर्वक आयोजित भेल.
हमहुँ मित्र राहुल झा जीक संग पहुँचल रही.
साहित्यिक चौपाड़ि केर हम प्रशंसक छी एवं श्रोताक रूपमे सम्मिलित हेबाक यथासंभव प्रयास करैत छी. प्रत्येक मासमें एकबेर मैथिली साहित्यानुरागी सभक संग भेंटघाॅंट सुखद रहैत अछि, एहिमे साहित्यिक चौपाड़ि खूब नीक भूमिका निभा रहल अछि.
वर्तमानमे तंज़ानिया (अफ्रिका) में कार्यरत मित्र संजय झा 'नागदह' स' हुनक बहुचर्चित पोथी "कवि रहस्य", उपहार स्वरूप प्राप्त भेल संगहि डॉ आभा झा लिखित काव्यसंग्रह "चिनबार" सेहो उपहार स्वरूप भेटल. हृदय स' आभार दुनू गोटेक, पढलाक बाद पोथीक संबंधमे किछु कहि सकब.
अशेष शुभकामना साहित्यिक चौपाड़ि केर आयोजक लोकनिके, बधाई 💐💐
श्री सुनीत कुमार ठाकुर (एडमिन - हम सब मैथिल छी)


श्री ललित नारायण झा (सम्पादक मिथिला मिरर) आ श्री अजित आज़ाद 

नवारम्भ प्रकाशनक संस्थापक श्री अजीत आजाद द्वारा महामहोपाध्याय सर गंगनाथ झाक रचित एवं अग्रज मित्र श्री संजय झा "नागदह" द्वारा अनुदित पोथी "कवि रहस्य" प्राप्त भेल। पोथी पढ़लाक बाद विशेष समीक्षा करब। बधाइ संजय बाबूकेँ!

हमर मित्र बहुत मेहनत आ तन्मयता स ई पोथी ल क आबि रहल छैथ । उम्मीद कम्मे अछि जे कवि लोकनि कवि रहस्य पर नजरि देब चाहता कारण जे सबटा रहस्य खुलि जयबाक संभावना आ डर अछि ।
ई एकटा अनुदित पोथी जे म० महो० डा० सर गंगानाथ झाक कवि रहस्य के अछि । आशा अछि जे जाहि मनोयोग सँ हमर मित्र अकरा तैयार कयने छथि ताही मनोयोग सँ साहित्यिक आ पाठक समाज अकरा पढ़त आ स्वागत करत !
--- अश्विनी कुमार तिवारी ( 14/04/2021 )

बड नीक पोथी अछि अद्भुत वर्णन अनुवाद वाह काल्हि हमरा संजय झा जी भेटि केलनि महेन्द्र मलंगिया सर आ विभूति आनन्द सर नेपालक पुर्व उप प्रधानमंत्री राजेन्द्र महतो सर आओर वरिष्ठ साहित्यकार लोकनिक जे हमरासँ भेट करै चाहैत छलखिन्ह आहो भाग्य हमर भैटघाट गपशप भेलि हिनक लोकनिक फैन हम स्वंग छी

श्री हर्ष आचार्य - १७-११-२०२१


मात्र कवि नहि , पाठक लोकनि सेहो कवि रहस्य अवश्य पढताह !! हमरा पूर्ण विश्वास अछि । हम सोझ गप बुझैत छी , नहि पढताह तँ कविता आ निंघेसमे अन्तर कोना करताह ? तैँ अवश्य पढबाक चाही 🙏 ---नीरज कुमार 'नीरज' 14-04-2021


"कवि रहस्य " पढ़ैत ...... पढ़बाक हेतु सोचब कि पोथी अहाँक लग हाजिर .... कोनो कोनमे रही ,बस एक फोन ..व्हाट्सएप्प पर्याप्त । एक नहिं अनेक युवक, प्रकाशक आब व्यावसायिक दृष्टिसँ एहि दिस झुकलाह अछि। सेवा ,व्यावसायिकताक संग ... निस्संदेह एक सफल डेग ... तैं ने हजारियोबागमे ...… अनुवादक Sanjay Jha जीकेँ बधाइ . -
हितनाथ झा 23-06-2021


महामहोपाध्याय सर गंगानाथ झा जी द्वारा लिखित "कवि रहस्य" जेकर मैथिली अनुवाद आदरणीय Sanjay Jha भैया द्वारा कैल गेल पोथी आई प्राप्त भेल। विषय-वस्तु पढ़ी अवलोकनक संग एक बेर फेर उपस्थित भs सब टा सार संक्षिप्त में प्रस्तुत करब। - रौशन मैथिल 22-07-2021




Sanjay Jha thanks for such a lovely gift, Kavi Rahasya by Sir Ganga Nath Jha a true master piece, brother you have big shoes to fill, will review soon. Good look for your future. #कविरहस्य अनुवाद बेतरीन रचना के लिए अहां के बहुत बहुत धन्यवाद। गंगानाथ जी के कवि रहस्य अपने आप में एक अद्भुत रचना छी। उनकर रचना स न्याय, अपने आप में बड़का बात छी। बहुत जल्द एकर समीक्षा प्रस्तुत करई के कोशिश करब। भविष्य लेल अहाँ के बहुत बहुत शुभकामना। - प्रवीण भरद्वाज -10-07-2021


श्रीमती आभा झा 

.
..................कवि रहस्य..................
.तर्केषु कर्कशधियो वयमेव नान्य:
.काव्येषु कोमलधियो वयमेव नान्य:
‌ .कान्तासुरंजितधियो वयमेव नान्य:
.कृष्णे समर्पितधियो वयमेव नान्य:
श्री जयदेव
भगवती भारतीक कृपा सॅं दू-चारि भाषाक क..ट...बुझैत छियैक, किछु- किछु टेढ़-बाकुल लिखियो लैत छियैक। हॅं,पढ़बाक सौख सभदिन सॅं रहल अछि,एखनहुॅं अछि।एहि क्रम मे पुस्तक सभकेॅं अकानैत रहैत छी। सोशल मीडिया-पटल पर महामहोपाध्याय सर गंगानाथ झाजीक कविरहस्यक मैथिली-अनुवाद अभरल आ श्री अजित आजादजीक प्रसादात् हस्तगत भेल।

काव्यक उत्पत्ति कोना होइत छैक,एहि संबंध मे आचार्य मम्मट कहने छथिन-
"शक्तिर्निपुणता लोक काव्यशास्त्राद्यवेक्षणात्
काव्यज्ञशिक्षयाभ्यास इति हेतुस्तदुद्भवे।।"
अर्थात् प्रतिभाशक्ति,लोकशास्त्रक अवेक्षण आ अभ्यास सॅं काव्यक उद्भावना स्वीकार करैत छथि , आचार्य दण्डी नैसर्गिक प्रतिभा,अभ्यास,शास्त्रक ज्ञान आ लोक व्यवहारकेॅं काव्यक उत्पत्तिक कारण बुझैत छथिन, आचार्य वामन आ भामह जन्मजात प्रतिभा सॅं काव्यक सृजन संभव मानैत छथिन आ राजशेखर प्रतिभा (कारयित्री&भावयित्री), व्युत्पत्ति आ अभ्यासकेॅं काव्यक माध्यम मानैत छथिन।
जॅं कवि जन्मजात प्रतिभेटा सॅं किं वा अभ्यासे टा सॅं होइत अछि,त' ओकर रहस्य की? एहि विषयक चिन्तन केॅं काव्यमीमांसा आ कण्ठाभरण केॅं आधार बनाए महामहोपाध्याय अपन वैदुष्यपूर्ण दृष्टि सॅं अभिव्यक्ति देलखिन आ एहि गंभीर विद्वत्तापूर्ण विषयकेॅं सर्वजन- बोधगम्य बनयबा लेल श्री संजय झा जी एकर मैथिली अनुवाद कए श्लाघ्य काज केलनि अछि। आदरणीया शेफालिका वर्माजीक शुभाशंसा आ आशीष पोथीक गरिमा बढ़ा रहल अछि।

नवारम्भ-प्रकाशन सॅं आयल ई पोथी लेखनक ओहि दिशा दिसि संकेत कए रहल अछि जे प्राचीन काव्यशास्त्रीय अवधारणाक सार्वकालिकता आ सार्वभौमिकता दिसि आकृष्ट होइत अछि आ ओतए सॅं सारतत्व लए अभिनव सृजन मे प्रवृत्त होइत अछि।
श्री संजय जीकेॅं एहि कृति लेल भूरिश: अभिनन्दन संग बधाई,सभ भाषा,सभ विधा तथा सभ शैलीक रचनाक समावेशी प्रकाशन-प्रवृत्ति लेल श्री अजित आजादजीकेॅं साधुवाद।
जयतु मैथिली
आभा झा
१५.८.२०२१

श्री अमर जी झा 
DLF निवासी श्री संजय झा जी द्वारा महामहोपाध्याय डॉ गंगा नाथ झा कृत ग्रन्थक मैथिली भाषा में अनुवादित कवि-रहस्य नामक पोथी पढि मन अत्यंत हर्षित भ गेल।
संजय जी मैथिली आ मिथिला के प्रति समर्पित छैथ। विद्वानलोकैन अनुवाद कार्य के अधिक दुरूह मानैत छथि कारण जे ओहि में अनुवादक परतंत्र आ बांहल रहैत छथि। मूल सृजनकर्ताक मनोभावक अनुसरण केनाई परिवर्तित देश काल स्थिति में सेहो अनिवार्य रहैत छैक। मौलिकता के अक्षुण्ण रखनाई आवश्यक रहैत छैक। मैथिली साहित्यक जतैक परिचय आई धरि भेटल छल, ओहि में इ पहिल काव्यशास्त्रीय वा लक्षणग्रन्थ देखल। अनुवादक विद्वान यद्यपि वाणिज्यक छात्र छैथ, मुदा अगाध साहित्य प्रेमी छैथ। हिनकर ई कृति देखि मन गदगद भ गेल। हिनकर ई अमरकृति देखि आत्मग्लानि सेहो भ रहल , जे हमरा सभ झूट्ठौं के मैथिल छी असली काज त यैह केलैन्ह ,जे दीर्घकालिक रहतै। हम सब त दैल -भात -आलूसन्ना पाबि दिन - रैत फोंफियाईत रहैत छी । संजय जी के कोटि-कोटि शुभकामना , बधाई आ प्रणाम। मां सरस्वतीक सदिखन हिनकापर कृपा बनल रहैन्ह । जय मिथिला, जय मैथिली। 🙏💐सादर @ श्री अमर जी झा
27-07-2025


श्री हेमन्त झा आ संजय झा नागदह 


श्री महेश डखरामी जी  




कविरहस्य
 केर मैथिली अनुवादक आ हमर परम मित्र श्रीमान संजय बाबू के प्रकट दिवसक ढाकिए सूपे बधाई


समयक हस्ताक्षरः शेफालिका वर्मा

  आज मेरे पास एक अद्वितीय पुस्तक आई है—*समयक हस्ताक्षरः शेफालिका वर्मा* (मैथिली संस्करण), जिसे संकलित किया है श्रीमती कुमकुम झा एवं श्री राज...

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