दू दिनसँ हम भोपालमे छी अपन एकटा चाउर मिल प्रोजेक्ट पर , आइ रातुक ट्रेनसँ दिल्ली घुरब..
हम जखन कखनो अपन कोनो प्रोजेक्टपर जाएत छी त’ यात्रामे कुनो ने कुनो पोथी पढ़ैत छी । दू दिन पहिले चतुर्थ आयाम उपन्यास इ नमोनाथ जी लिखितक हिंदी अनुवाद आदरणीय सियाराम झा सरस जीक द्वारा पठाओल गेल छल, पढलहुँ, नीक उपन्यास धरतीसँ ब्रह्मांड धरिक कथामे संयोजन , विज्ञान , अंतरिक्षक रुचिगर , बान्हल उपन्यास । पाठककेर इतिसँ अंत धरि बन्हबामे पूर्ण रुपेण सुफल । एकटा उद्योगपतिक व्यापारिक यात्रा , परिवारिक संबंध , पति पत्नीक पारस्परिक विश्वास , अन्ततोगत्वा संन्यासी बनब , यथार्थक चित्रण करबामे लेखक सुफल रहलाह । मुख्य पात्र दारुका जी जे थ्री डी नामसँ प्रसिद्ध, हुनक अपन अर्द्धांगिनीक लेल सभ किछु समर्पित, जकरा प्रेमसँ किछु आओर कहि परिभाषित करब अतिशयोक्ति नहि, एहेन प्रेम कमे देखल जाएत छैक, ओ अपन पत्नीक सहपाठीकेर अपन व्यापारिक साम्राज्यमे दोसर स्थान देलाह, हुनक अपन मिथिलानी पत्नी अनुपमा साहू, जकरा ओ अनु कहि सम्बोधित करैत छथि, अनुकेँ लेल ओ सभकिछु त्यागै लेल तैयार , हुनक ख़ुशीमे दारुकाजीक खुशी, सायते संभव भ’ सकैत अछि , मुदा की ओ पत्नी हुनको लेल ओतबे समर्पित छली एहि उपन्यासक’ जखन पढब तखन पता लागत । की नायिका अनु अपन सहपाठी दीपक ढोलकिया जी लेल किछु मोनमे रखैत छथि ?ढोलकिया जी अपन सचिव रेखा भटनागर जी लेल हिया हारल, की रेखाक मोनमे हुनक स्थान छैक आकि बस व्यक्तिगत किछो नहि ….
नीक उपन्यास, विज्ञान आ’ अंतरिक्षक रहस्यपर नीक पकड़ आ अपन अनुभवक मिश्रण ।प्रणाम संगेहि हार्दिक आभार सरस जीकेँ, जे हमरा चतुर्थ आयाम पठौलाह ।
आब महामहोपाधयाय सर गंगानाथ झा लिखित कवि रहस्यक, मैथिली अनुवाद हमर सिनेही संजय झा नागदह जीक’ सनेस पढ़ब शुरु केलहुँ अछि ।
आदरणीया शेफालिका दीदी कम शब्दमे पोथी शुभाशंसा लिखली । ई पोथी सभ कवि पढथि , कवि रहस्य की’ थीकैक, से बुझब आवश्यक ।वेद, वेदांग, शास्त्र आ काव्यक केहेन संबंध ,वांग्यमय स्वरूप, काव्य पुरुष , साहित्य- वधू संयोग , शिष्य भेद, काव्यक उत्पत्ति, काव्य लक्षण भेद,शब्द स्वरूप, काव्य पढ़बाक ढंग ,काव्यार्थक मूल , साहित्यक विषय सरिपहुँ कवि लेल रहस्य थीकैक ।
कविचर्या-राजचर्चाक बोध होएबाक चाही कविकेँ,कविक कर्तव्य, कवित्व शिक्षा,राजाक कर्तव्य, चोरी, कवि समय,देश विभाग, काल-समय , नानाशास्त्र -परिचय जानब बहुत आवश्यक छैक, काव्य सृजन लेल ।एक सय तीन पन्नाक ई पोथी हमरा सीखबाक लेल बड़का वरदान ।कविता लिखब एकटा कविक अपन मौलिक विषय थिक,कविता कोना काव्य- सौष्ठव होए, उपमा, अलंकार, विषय वस्तुक सुआद पाठक धरि पहुँचाएब परम कर्तव्य थिक ।
समय लागत मुदा पढब नीकसँ बहुत बहुत हार्दिक आभार प्रिय संजय नागदह जी क’ ।
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