शनिवार, 2 अगस्त 2025

बीहनि कथा - देह जड़ैए

कतेक सुन्नर वातावरण छल, दरबज्जा पर धीया-पुता सब अपना धुनमे खेल रहल छल। बेरोजगारक एकटा टोली तास खेलबामे व्यस्त आ चारुकात सँ अन्य लोक हां हां ठि ठि मे व्यस्त छल।  आ की उठलै गर्दमिसान दु भाईक मध्य। छोटका कहथि - इ सबटा हँसोथि लेने छथि । आ बड़का कहथि बाज तँ की सब हँसोथि लेने छियौ ? बजबंय तहन ने तोरा हँसोथलाहा द'  देबौ। ओहिठाम एकटा प्रकांड विद्वान उपस्थित छलाह जिनका बुझल छलन्हि जे इ छोटका सबटा फुंसि बजैया, जेठाकाकेँ अनेरे फिरिसान करैए। एहि मध्य छोटका डिरिया - डिरिया क' कहैत हिनका देखिते हमरा देहमे आगि लागि जाइया -- ई बात सुनैत-सुनैत जखन ओ अकच्छ भ' गेलाह तँ बड्ड ओरियाकँ ओकरा कहैत छथि --- हौ, जकरा देहमे आगि लगैत छै सैह ने जड़ैया ! 

@संजय झा 'नागदह'

1 टिप्पणी:

बीहनि कथा - चुप्प नै रहल भेल ?

रातुक बारह बजे कनियां सं फोन पर बतियाइत छत पर गेलौं कि देखैत छी आगि लागल। जोर सं हल्ला कैल हौ तेजन हौ तेजन रौ हेमन .. अपन पित्तियौत भैयारी स...

आहाँ सभक बेसी पसन्द कएल - आलेख /कविता /कहानी