भूमंडलीकरण एवं मीडियाक प्रभावक कारण आजुक समयमे अनुवाद, विशेषत: अनुवाद साहित्यक महत्व किछु बेसी बढि गेल अछि । कोनो भाषा, साहित्य ओ संस्कृतिकें जीबंत आ विकासोन्मुखी बनाकए रखबाक लेल अनुवाद वस्तुत: एकटा सशक्त माध्यम बनि गेल अछि । वैश्विक ग्रामक संकल्पना संसारक समस्त साहित्यकें अनुवाद केर माध्यमसँ एक दोसराकें सम्पर्कमे आनि रहल अछि । वैश्विक स्तर पर अनुवादक बढैत लोकप्रियताकें देखैत आई समस्त विश्वविद्यालयमे अनुवाद अध्ययन एकटा विषय / डिसीप्लीनक रुपमे पढाओल जा रहल अछि । साहित्यिक अनुवादक क्षेत्रमे साहित्य अकादमी, नेशनल बुक ट्रस्ट, केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान (सीआईआईएल), मैसूर, नेशनल ट्रांस्लेशन मिशन आदि सहित कैकटा अनुवाद संस्थान सेहो कार्य क’
रहल अछि ।
मैथिलीमे चन्दा झा द्वारा विद्यापतिक "पुरुष परीक्षा"क अनुवाद सँ मैथिलीमे अनुवाद कार्यक शुभारंभ मानल जाइत अछि । मैथिलीमे अन्य भाषाक तुलनामे अनुवाद साहित्य बहुत कम अछि । मुदा शनै शनै मैथिलीक अनुवाद साहित्य पल्लवित भ’
रहल अछि । विभिन्न क्षेत्रमे काज केनिहार मैथिली अनुरागी मैथिली सँ अंग्रेजी एवं अन्य भाषामे तथा अन्य भाषाक लोकप्रिय साहित्यकें मैथिलीमे आनुवाद कार्यमे लागल छैथ । एहने युवा लेखकसभक मध्य एकटा नाम अछि संजय झा 'नागदह'।
सम्प्रति तंजानियामे कार्यरत मिथिला-मैथिलीक सेवामे निरंतर लागल आ संबंधित गतिविधिसभ सँ जुरल संजय झा 'नागदह' मैथिली लेखनमे बेस सक्रिय छैथ आ तकर सफल परिणाम आ स्तुत्य प्रमाण अछि महामहोपाध्याय गंगानाथ झाक “ कवि रहस्य"क हुनक मैथिली अनुवाद । नवारंभसँ प्रकाशित मैथिलीमे अनुदित ई पोथी संजयजीक अनुवाद कौशलक गवाही द’
रहल अछि । पोथीक शुभाशंसामे प्रख्यात लेखिका शेफालिका वर्मा ठीके लिखने छथि- ‘ एहि कवि रहस्य केर मैथिली अनुवाद विलक्षण भेल अछि ।“
“कवि रहस्य’
वर्ष 1928-29 ईक मध्य देल गेल प्रख्यात विद्वान महामहोपाध्याय गंगानाथ झाक सारगर्भित विशद व्याख्यानक संकलन अछि । एहि पोथीमे दुटा खंड अछि - कवि-रहस्य आ कविचर्या- राजचर्या ।
कवि-रहस्यक अंतर्गत ‘वांग्मय’ स्वरुप, ‘काव्यपुरुष’, साहित्य-वधु-संयोग’ , ‘शिष्य’ भेद , ‘काव्य’ क उत्पत्ति, ‘कवि’
लक्षण आ भेद , ‘शब्द’
स्वरुप , ‘काब्य’
पढक ढंग , ‘काव्यार्थ’क मूल, ‘साहित्य’क विषय आदि जेहन महत्वपूर्ण विषय पर विचार उपस्थापित कएल गेल अछि । दोसर खंडक अंतर्गत ‘कवि’क कर्तव्य ,’कवित्व’- शिक्षा , ’राजा’क कर्तव्य, ‘चोरी’, ‘कविक समय’, ‘ देश-विभाग’, ‘काल-समय’, ‘नानाशास्त्र’- परिचय उल्लेखनीय अछि ।
अनुवाद आ ओहो साहित्यिक अनुवाद अत्यंत चुनौतीपूर्ण आ कठिन काज थिक । साहित्यिक अनुवाद भाषाक नहि भावक होयत अछि आ ताहि लेल अनुवादकमे भाषिक विलक्षणताक संग संग भावभूमिक भरल पूरल चास होयबाक चाही । समीक्षगत पोथीमे ई दुनु गुण ओ विशेषता संजयजीमे परिलक्षित भ’
रहल अछि । हुनक अनुवादक भाषा आ शैली प्रभाव्य अछि । दर्शन, काव्य आदि संबंधी संकल्पनाक दुरूह अभिव्यंजनाकें अतेक सहज ओ सुंदर ढंगसँ अभिव्यक्त कयने छथि जे लगैत अछि कि हम मैथिलीक कोनो मूल पोथी पढि रहल छी ।
क्लासिक 'कवि रहस्यक' काव्यात्मक, दार्शनिक, भाषिक, वैचारिक आदिक रहस्यकें अपन भाषा मैथिलीक माध्यमसँ मैथिल जन धरि पहुँचेबाक लेल संजयजीकें बहुत बहुत धन्यवाद। अनुवादक क्षेत्रमे संजयजीसँ बेसी सँ बेसी अनुवाद कार्यक अपेक्षा रखैत साहित्य सृजनक कामना करैत छियैन। शुभमस्तु!
पोथी- कवि रहस्य
अनुवादक- संजय झा 'नागदह'
प्रकाशक- नवारंभ
मूल्य- 200 टका
समीक्षक : भास्करानन्द झा भास्कर
चलंत : 09432386278
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