कतेक सुन्नर वातावरण छल, दरबज्जा पर धीया-पुता सब अपना धुनमे खेल रहल छल। बेरोजगारक एकटा टोली तास खेलबामे व्यस्त आ चारुकात सँ अन्य लोक हां हां ठि ठि मे व्यस्त छल। आ की उठलै गर्दमिसान दु भाईक मध्य। छोटका कहथि - इ सबटा हँसोथि लेने छथि । आ बड़का कहथि बाज तँ की सब हँसोथि लेने छियौ ? बजबंय तहन ने तोरा हँसोथलाहा द' देबौ। ओहिठाम एकटा प्रकांड विद्वान उपस्थित छलाह जिनका बुझल छलन्हि जे इ छोटका सबटा फुंसि बजैया, जेठाकाकेँ अनेरे फिरिसान करैए। एहि मध्य छोटका डिरिया - डिरिया क' कहैत हिनका देखिते हमरा देहमे आगि लागि जाइया -- ई बात सुनैत-सुनैत जखन ओ अकच्छ भ' गेलाह तँ बड्ड ओरियाकँ ओकरा कहैत छथि --- हौ, जकरा देहमे आगि लगैत छै सैह ने जड़ैया !
@संजय झा 'नागदह'
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