एक - एक शव्द
शव्द बाण की तरह अचूक
चित्त कर रहा चिंतन
चित्त कर रहा चिंतन
होकर मूक
होकर इस मूक
होकर इस मूक
पड़ा हूँ चिंतन में
उठ रहा अनेको प्रश्न
उठ रहा अनेको प्रश्न
मेरे जेहन में
का से करूँ विचार ?
का से करूँ विचार ?
पूछूँ मैं का से रास्ता
सब चले हैं अपने डोर
नहीं कोई इतना सस्ता
---- संजय झा "नागदह"
---- संजय झा "नागदह"