Friday, 15 January 2016

पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय अब्दुल कलम जी को समर्पित

 धरती माँ का एक ही बेटा 
हुआ नही जिसका अपमान 
कर्म फल गर देख सको तो 
देखो हिन्दु और मुसलमान।
छन - छन जिसने देश के खातिर 
दीपक भाँति जलाये रक्खा 
सपने भी था देश को अर्पण 
ऐसे सपने दिन में देखा।
नहीं किया आराम भी पल भर 
सपने जिसे जगाये रक्खा 
बच्चों को भविष्य मानकर 
ज्ञान उन्हीं को बाँटते देखा।
सोच में डूबा हूँ "कलाम"
कब होगा अगला परिक्षण 
कर लो कबुल "संजय" का सलाम 
हैं ध्यान मेरा तुम पर छन - छन।

--- संजय झा "नागदह"
दिनांक : 24 /08 /2015 

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