धरती माँ का एक ही बेटा
हुआ नही जिसका अपमान
कर्म फल गर देख सको तो
देखो हिन्दु और मुसलमान।
छन - छन जिसने देश के खातिर
दीपक भाँति जलाये रक्खा
सपने भी था देश को अर्पण
ऐसे सपने दिन में देखा।
नहीं किया आराम भी पल भर
सपने जिसे जगाये रक्खा
बच्चों को भविष्य मानकर
ज्ञान उन्हीं को बाँटते देखा।
सोच में डूबा हूँ "कलाम"
कब होगा अगला परिक्षण
कर लो कबुल "संजय" का सलाम
हैं ध्यान मेरा तुम पर छन - छन।
--- संजय झा "नागदह"
दिनांक : 24 /08 /2015
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