शनिवार, 16 जनवरी 2016

पड़ल छी ऐना जेना, मरल होइ

पड़ल छी 
ऐना
जेना, मरल होइ 
शरीरक कोनो अंग में 
कोनो हलचल नहि
साँस ऐना चली रहल अछि
जे लोक देख क' 
चलि गेल
आ 
हल्ला क' देलक 
ओ मरि गेल 
मुदा 
हम्मर कान में 
सबहक आवाज 
ओहिना सुनाइत अछि 
जेना 
पहिले
अन्तर मात्र एतेक 
कि हम
सुनिए टा सकैत छी 
बस, आर किछु नहि 
आँखि बन्न अछि 
मुदा
दूधिया सफ़ेद सन इजोतक 
दर्शन आर किछु नहि 
कान सब शब्द के 
समेट रहल अछि 
नाना तरहक 
शव्द परिख रहल छी
मरि गेल, मरि गेलक हल्ला पर 
दौड़ल किछ लोक 
उमड़ल नहि भीड़
मरि गेलाक नामों पर 
सोचाइत छल 
कर्मों त' एहने छल 
तखन बुझाएल
ई हम कएल कि ?
आ हमरा स पहिने 
अहंकार, दुर्विचार 
हमरे देह सँ मरि गेल 
तइयो
कछमछ क' रहलहुँ 
ई, आई कियाक मरल ?
तहन सोचायल 
इ , मरल नहि 
हमर शक्तिक 
छीन होएवाक कारणे
हमरा छोड़ि देलक 
कारण 
आब इ हमरा सँ 
किछु नहि करा सकैत अछि 
आ कान में राम नाम सत्यक 
नारा सुनाइत अछि

-------संजय झा " नागदह" 18/06/15

सिनेहक बोल


दुखक सागरमे
सिनेहक बोल 
उठा दैत छैक
एहन सुनामी, जे 
अश्रुक धारा बनि
एहि सागरक पाइनकेँ  
बहा दैत छैक 
कतहु आर 
बेशक 
छनिक होई वा स्थायी 
हिचकि - हिचकि कS
प्रेम भरल बोलSक करीन
उपछि दैत छैक 
कौखन ऐना 
जेना,
एहि ठाम 
दुखक सागर त' कात जाए
पोखरि वा इनारो
नहि छल 
मुदा इ सागर 
महासागरोमे
परिणित भS जाएल 
करैत छैक 
नहि भेटला पर 
सिनेहक बोल !

---- संजय झा "नागदह" 01/07/2015 


छन भरिक आगि

शोक , शोकानुकूले पर 
नोर, चोटायल घाते पर 
राति होय वा भोर 
चाहे
एहन सन किछु 
टटका होय कि बसिया 
छन भरिक आगि 
जरा दैत छैक 
कि - कि ने !!


-----संजय झा "नागदह" 01/07/2015
प्रभु हम देखल ध्यानहि रे 
अति मेघ विशाला 
श्यामल वर्ण अद्भुत छवि रे 
लागथि विकराला
आँखि जखन मोर खुजल रे 
सब सुन्न सपाटा 
पुनि हम ध्यान लगाओल रे 
जुनि टुटहि ध्याना !


------sanjay jha "nagdah" 17/07/2015

चरिपतिया

1.
करू ओकरा कात भाई 
बड्ड चलबैत अछि थोंथि 
भनें लिखलक ओ
नाम सँ तँ अछि हमरे पोथी ।

-----संजय झा "नागदह" 11/08/2015

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2. ककरा करू फज्झति 
ककरा सँ कलह बेसाहु
घुमि रहल अछि काल चक्र 
एहि मूढ़कें, किछु दिन आर बिसारु


------------संजय झा "नागदह" 08/07/2015

*************************************************3. अमावश्या राति सन मुंह हुनक 
द्वितिया चान सन दांत 
बाजब यदि सुनि लेलहुँ हुनकर
त' करिते रहि जायब बात 

-------------संजय झा "नागदह "   18/05/15
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4. सन - सन बहय बसात
उड़िया रहल अछि, चुनरी हुनकर
छौड़ा सब भेल बताह 
हुनका लेखे धनो धन सन

---------संजय झा "नागदह "  17/05/15
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5. उपटि गेल खड़हाउड़ 
नहि बांचल खरही
कुश उत्पाटनक विधि
की भS रहल घरही -घरही ?
-------- संजय झा " नागदह"

Date - 20/12/2015

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6. देह निष्प्राण दिल्ली पड़ल अछि
प्राण त नागदहक गामे रहल अछि
इ गामक नेह देखाबी हम ककरा
निष्प्राण देहक मोले की रहैत अछि।

-------- संजय झा " नागदह"

Date - 14/12/2015

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7. विद्यापति पर्व
सब टाङ्गि रहल हुनक छायाचित्र
हम कहु कोना इ बात विचित्र
कहता कS रहलहुं विद्यापति पर्व
नहि रहैत अछि कनिऒ सन्दर्भ।


----------संजय झा "नागदह"
Date - 07/12/2015

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8. एक्का दुक्का मतलबी 
बाँकी के की भेटत ?
टीनक चश्मा पहिरा 
वोट अपन बटोरत। 

----- संजय झा "नागदह "
Date : 06/10/2015

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9. बुझि रहल नहि दाइ - माइ 
गली - गली घुमि रहल कसाई
ककरा कहबै के सुनत भाइ 
चहुँ दिस घेंटकट्टा अछि आइ। 
 


संजय झा "नागदह "
Date : 06/10/2015

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10.

सुरुये सँ परिवारवाद 
लगा देने अछि घुन 
कुकुर - बिलारिक चक्करमे
जनता बहा रहल अछि खून। 
संजय झा "नागदह "
Date : 06/10/2015

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11.
मनवा में रहे उमंग सदा तोहरा के,
बनल रहे इहे देह - नेह तोहरा के, 
जब ले कपार पर रही हाथ माई के, 
केहू ना कुछ बिगाड़ सकी तोहरा के ।

संजय झा "नागदह" 19/08/2015


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