शोक , शोकानुकूले पर
नोर, चोटायल घाते पर
राति होय वा भोर
चाहे
एहन सन किछु
टटका होय कि बसिया
छन भरिक आगि
जरा दैत छैक
कि - कि ने !!
-----संजय झा "नागदह" 01/07/2015
रातुक बारह बजे कनियां सं फोन पर बतियाइत छत पर गेलौं कि देखैत छी आगि लागल। जोर सं हल्ला कैल हौ तेजन हौ तेजन रौ हेमन .. अपन पित्तियौत भैयारी स...
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