Friday, 15 January 2016

शोक , शोकानुकूले पर 
नोर, चोटायल घाते पर 
राति होय वा भोर 
चाहे
एहन सन किछु 
टटका होय व बसिया 
छन भरिक आगि 
जरा दैत छैक 
कि - कि ने !!!!


-----संजय झा "नागदह" 01/07/2015

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