संजय झा "नागदह"
Friday, 15 January 2016
शोक , शोकानुकूले पर
नोर, चोटायल घाते पर
राति होय वा भोर
चाहे
एहन सन किछु
टटका होय व बसिया
छन भरिक आगि
जरा दैत छैक
कि - कि ने !!!!
-----संजय झा "नागदह" 01/07/2015
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