दुखक सागर में
स्नेहक बोल
उठा दैत छैक
एहन सुनामी
जे
अश्रुक धारा बनि
एहि सागरक पाइन के
बहा दैत छैक
कतहु आर
बेशक
छनिक होई वा स्थायी
हिचकि - हिचकि क
प्रेम भरल बोलक करीन
उपछि दैत छैक
कौखन ऐना
जेना,
एहि ठाम
दुखक सागर त' कात जाए
पोखरि वा इनारो
नहि छल
मुदा इ सागर
महासागरों में
परिणित भ' जाएल
करैत छैक
नहि भेटला पर
स्नेहक बोल
---- संजय झा "नागदह" 01/07/2015
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