Friday, 15 January 2016

पड़ल छी ऐना जेना, मरल होइ

पड़ल छी 
ऐना
जेना, मरल होइ 
शरीरक कोनो अंग में 
कोनो हलचल नहि
साँस ऐना चली रहल अछि
जे लोक देख क' 
चलि गेल
आ 
हल्ला क' देलक 
ओ मरि गेल 
मुदा 
हम्मर कान में 
सबहक आवाज 
ओहिना सुनाइत अछि 
जेना 
पहिले
अन्तर मात्र एतेक 
कि हम
सुनिए टा सकैत छी 
बस, आर किछु नहि 
आँखि बन्न अछि 
मुदा
दूधिया सफ़ेद सन इजोतक 
दर्शन आर किछु नहि 
कान सब शब्द के 
समेट रहल अछि 
नाना तरहक 
शव्द परिख रहल छी
मरि गेल, मरि गेलक हल्ला पर 
दौड़ल किछ लोक 
उमड़ल नहि भीड़
मरि गेलाक नामों पर 
सोचाइत छल 
कर्मों त' एहने छल 
तखन बुझाएल
ई हम कएल कि ?
आ हमरा स पहिने 
अहंकार, दुर्विचार 
हमरे देह सँ मरि गेल 
तइयो
कछमछ क' रहलहुँ 
ई, आई कियाक मरल ?
तहन सोचायल 
इ , मरल नहि 
हमर शक्तिक 
छीन होएवाक कारणे
हमरा छोड़ि देलक 
कारण 
आब इ हमरा सँ 
किछु नहि करा सकैत अछि 
आ कान में राम नाम सत्यक 
नारा सुनाइत अछि

-------संजय झा " नागदह" 18/06/15

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