शनिवार, 16 जनवरी 2016

चरिपतिया

1.
करू ओकरा कात भाई 
बड्ड चलबैत अछि थोंथि 
भनें लिखलक ओ
नाम सँ तँ अछि हमरे पोथी ।

-----संजय झा "नागदह" 11/08/2015

****************************************
2. ककरा करू फज्झति 
ककरा सँ कलह बेसाहु
घुमि रहल अछि काल चक्र 
एहि मूढ़कें, किछु दिन आर बिसारु


------------संजय झा "नागदह" 08/07/2015

*************************************************3. अमावश्या राति सन मुंह हुनक 
द्वितिया चान सन दांत 
बाजब यदि सुनि लेलहुँ हुनकर
त' करिते रहि जायब बात 

-------------संजय झा "नागदह "   18/05/15
***************************************
4. सन - सन बहय बसात
उड़िया रहल अछि, चुनरी हुनकर
छौड़ा सब भेल बताह 
हुनका लेखे धनो धन सन

---------संजय झा "नागदह "  17/05/15
****************************************
5. उपटि गेल खड़हाउड़ 
नहि बांचल खरही
कुश उत्पाटनक विधि
की भS रहल घरही -घरही ?
-------- संजय झा " नागदह"

Date - 20/12/2015

*******************************************
6. देह निष्प्राण दिल्ली पड़ल अछि
प्राण त नागदहक गामे रहल अछि
इ गामक नेह देखाबी हम ककरा
निष्प्राण देहक मोले की रहैत अछि।

-------- संजय झा " नागदह"

Date - 14/12/2015

*************************************************
7. विद्यापति पर्व
सब टाङ्गि रहल हुनक छायाचित्र
हम कहु कोना इ बात विचित्र
कहता कS रहलहुं विद्यापति पर्व
नहि रहैत अछि कनिऒ सन्दर्भ।


----------संजय झा "नागदह"
Date - 07/12/2015

***********************************************
8. एक्का दुक्का मतलबी 
बाँकी के की भेटत ?
टीनक चश्मा पहिरा 
वोट अपन बटोरत। 

----- संजय झा "नागदह "
Date : 06/10/2015

****************************************
9. बुझि रहल नहि दाइ - माइ 
गली - गली घुमि रहल कसाई
ककरा कहबै के सुनत भाइ 
चहुँ दिस घेंटकट्टा अछि आइ। 
 


संजय झा "नागदह "
Date : 06/10/2015

****************************************************************
10.

सुरुये सँ परिवारवाद 
लगा देने अछि घुन 
कुकुर - बिलारिक चक्करमे
जनता बहा रहल अछि खून। 
संजय झा "नागदह "
Date : 06/10/2015

*****************************************
11.
मनवा में रहे उमंग सदा तोहरा के,
बनल रहे इहे देह - नेह तोहरा के, 
जब ले कपार पर रही हाथ माई के, 
केहू ना कुछ बिगाड़ सकी तोहरा के ।

संजय झा "नागदह" 19/08/2015


**********************************************




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बीहनि कथा - चुप्प नै रहल भेल ?

रातुक बारह बजे कनियां सं फोन पर बतियाइत छत पर गेलौं कि देखैत छी आगि लागल। जोर सं हल्ला कैल हौ तेजन हौ तेजन रौ हेमन .. अपन पित्तियौत भैयारी स...

आहाँ सभक बेसी पसन्द कएल - आलेख /कविता /कहानी