Friday, 15 January 2016

आया मौसन कितना मस्त 
सब कोई मधुर मिलन में व्यस्त 
कोई पुकारे अपने प्रियतम 
कोई रहे मदमस्त 
बसंत ऋतु है मस्त
ऋषि मुनि की ह्रदय भी डोले 
जैसे परे बसंती ओले 
धीरे - धीरे मन ये बोले 
प्रेम रस बड़ा है मस्त 
इसको कैसे करू निरस्त 
बसंत ऋतु है मस्त
इस मौसम में ऋषि मुनि की 
प्रभु भी लेते परीक्षा 
भेज देते है अपनी परी को 
जा रे रम्भा जा तू मेनका 
ऋषि की ले आ परीक्षा 
है ये प्रभु भक्ति में मस्त 
बसंत ऋतु है मस्त

-----संजय झा "नागदह"
24/02/2015

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