आया मौसन कितना मस्त
सब कोई मधुर मिलन में व्यस्त
कोई पुकारे अपने प्रियतम
कोई रहे मदमस्त
बसंत ऋतु है मस्त
ऋषि मुनि की ह्रदय भी डोले
जैसे परे बसंती ओले
धीरे - धीरे मन ये बोले
प्रेम रस बड़ा है मस्त
इसको कैसे करू निरस्त
बसंत ऋतु है मस्त
इस मौसम में ऋषि मुनि की
प्रभु भी लेते परीक्षा
भेज देते है अपनी परी को
जा रे रम्भा जा तू मेनका
ऋषि की ले आ परीक्षा
है ये प्रभु भक्ति में मस्त
बसंत ऋतु है मस्त
-----संजय झा "नागदह"
24/02/2015
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