संजय झा "नागदह"
Saturday, 16 January 2016
चारिपतिया - बुझि अप्पन आ हम्मर आन
बुझि अप्पन आ हम्मर आन
छोड़ि रहल छल ढ़ाकीक - ढ़ाकी
झुठक सरबत बाँटि रहल छल
लाखों लोक लग पाँति - पाँति।
संजय झा "नागदह"
दिनांक :01/12/2015
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