०१ अक्टूबर २०१३ क मिथिला सेवा समिति द्वारा विद्यापति पर्व समारोह खूब धूमधाम सँ लाल बाग लोनी ,गाज़ियाबाद में मनाओल गेल । जाहि के मुख्य अतिथि छलाह श्री मान राज नाथ सिंह जी , भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष , मुदा अतिआवश्यक कार्य के कारण ओ कलकत्ता चलि गेल छलाह , ताहि कारने ओ उपस्थित नहिभ सकलाह । किछु अतिथि राजनितिक गर्म माहौल के कारन सेहो उपस्थित नहि भ सकलाह सब कियो एकाएक व्यस्त भ गेल छलाह । परन्तु श्री मान मनोज धामा जी- भाजपा , अध्यक्ष नगर पालिका परिषद् लोनी ,गाज़ियाबाद अपन पूर्ण साम- दामक संग पधारि ई समारोह में उपस्थित भेलाह आ अन्य आमंत्रित अतिथि सेहो । संगहि दिल्लीक समस्त जानल - बुझल संस्था सँ जुड़ल पदाधिकारी एवं सदस्य लोकनि आमंत्रित छलाह , ओहि में सब संस्थाक अध्यक्ष व प्रतिनिधि लोकनि के मिथिला सेवा समिति द्वारा ख़ूब मोन सँ यथा साध्य यथा संभव माला, पाग , चादर आ स्मृति चिन्ह दय सुस्वागत कयल गेलन्हि । जाहि में मिथिलावासी सोसाइटी,डी. एल. एफ. अंकुर विहार, लोनी , गाजियाबाद कें अध्यक्ष श्री सुभाष कुमार झा व संस्थापक - सह महासचिव श्री संजय कुमार झाक विचार - विमर्शक संग - संग अन्य सहयोग पुरजोर रहन्हि । एहि विद्यापति पर्व समारोहक अति विशिष्ट अतिथि छलाह डॉ श्री उमाकांत झा सेवा निवृत व्याख्याता मैथिली विभाग - एम. एल . एस .एम कॉलेज दरभंगा । बहुत भाग्यक बात छल जे हमरा श्री मान रत्नेश्वर झा जीक द्वारा हुनक श्रोत भेटल नहि त ई मंच मैथिलिक विद्वान सँ सुशोभित नहि भ सकैत , श्री उमाकांत झा मंचक दीप प्रज्वलित कय मंच कें प्रकाशित आ गरिमामय बनौलन्हि आ संग देलखिन्ह श्री मनोज धामा जी व अन्य आमंत्रित अतिथि । हम श्री विजय झा जी कें बड्ड आभार व्यक्त करैत छियन्हि जे ओ डॉ श्री उमाकान्त झा जी के अपना संगे आनि आ ल जयबामे में हमर मदद केलन्हि , कारन डॉ उमा बाबू बयोब्रिद्ध भ चुकल छथि, श्री विजय जी जन जागृत मंच आ मिथिला राज्य निर्माण सेना सँ सेहो जुड़ल छथि । डॉ उमाकान्त जी मैथिलीक चारि गोट पोथी प्रकाशित छन्हि । हुनक चर्चा हम पहिनहु स्व० डॉ सुभद्र झाक लिखल पोथी नातिक पत्रक उत्तर में देख चुकल छि ,हुनक स्वभाव केरा पातक करवीर जकां सौम्य छनि, ई मंच हुनक स्नेह आ शुभाशीष सँ गद - गद भ गेल । हुनक एकटा बात समस्त मैथिल जन कें ध्यान रखबायोग्य अछि जे मंचक अध्यक्ष कखनो मंच नहि छोरथि जाहि सँ मंचक हालात मज़बूत रहैत अछि। आ दोसर एहन तरहक सम्मानित स्मृति पर्व समारोहक कार्यक्रम में जूता -चप्पल पहिर मंच पर चढ़नाई कठोर रूप सँ वर्जित हेबाक चाहि ।
आब हम किछु चर्चा करय चाहब विद्यापतिजीक सम्बन्ध में –
विद्यापति पर्व समारोह प्रायः मैथिलक संस्था व समुदाय के माध्यम सँ कातिक मासक मध्य आकि आस-पास मनाओल जाइत अछि । कारण हुनक देहावसान के सम्बन्ध में एकटा पद एहि तरहे प्रचलित अछि -
विद्यापतिक आयु अवसान ।
कातिक धवल त्रयोद्सि जान।।
एहि पद के अनुसार विद्यापतिक देहावसान कातिक मासक त्रयोद्सि तिथि क भेलनि । एहि तिथि के लोक एखन धरि प्रमाणिक मानैत छथि । ओहुना कातिक मास में हिन्दू - शास्त्र के अनुसार गंगा सेवन कें बहुत महत्व अछि । तैं हिनकर देहावसान गंगा तट पर भेलनि जखन ओ गंगा- लाभ लेल गेल छलाह । एहन सेहो मानल जाइत अछि जे विद्यापति जखन प्राणांत करबा लेल गंगा के लेल विदा भेलाह - त दू कोष दूर जखन रहथि त मोन में एहन जिज्ञासा भेलनि जे हम एतेक दूर गंगा स्नान लेल एयलहूँ कि गंगा दू - कोश हमरा लग नहि एतिह । एक रात्रिक विश्रामक बाद लोक दृश्य देखक' अबाक रही गेल । गंगा अपन धारा छोडि दू - कोश दूर विद्यापतिक समीप आबि गेल छलिह। आजुक समय में सेहो गंगाक धार टेढ़ नजर अबैत अछि । ओहि स्थानक नाम छई मऊ वाजिदपुर जे कि आब समस्तीपुर जिला में अछि (पहिले दरभंगा जिला में छल )। मानल जाइत अछि जे ओहिठाम हुनकर देहावसान भेलन्हि । एहन मानल जाइत अछि जे हुनक समाधि स्थल पर शिव - मंदिर आई धरि विद्यमान अछि ।
विद्यापति जी के लेल एकटा विद्वानक विचार एहि तरहे अछि - ऐना देखलासँ स्पष्ट अछि जे संसार में विद्यापतिक समान व्यापक दृष्टीयुक्त चिरंतन कवी बड्ड कम भय चुकल छथि । हिनका युग -कवि कहव हिनक महत्ता घटायव थिक, हिनका देश कवि वा राष्ट्र कवि कहव हिनका टूटपुजिआं सँ कुचित दृष्ट संपन्न दुग्गी - तिग्गी कविक पाँति में बैसाएब थीक - हिनका मैथिलीक कवि कहव वाँग- भाषी, खसकुरा-भाषी, उत्कल-भाषी, लोकनि सँ विद्यापति कें छिनव होयत । जकर अधिकार ककरो नहि - ओ जतबय मिथिला मैथिलीक कवि , ततबय भारतक नहि सम्पूर्ण विश्वक कवि रूप विष्णुक एक चिरंतन महावतार छथि ।
हम ओहि विद्वानक शव्द कें पुर्णतः यथोचित मानैत छी , कारण शास्त्रोगत अछि जे विष्णु शिव के भक्त आ शिव विष्णु कें। तैं ई मानवा में कतहु कोनोटा गुन्जाएश नहि बुझना जाइत अछि जे विद्यापति कवि रूप में विष्णुक महावतार नै छलाह । प्रमाणिक तौर पर शंकर रुपी उगना कि आम व्यक्तिक सेवादार भ सकैछ ? तैं हमरा सब के आब इहो बुझि हुनक अराधना करबाक चाहि जे स्वयं विष्णु रामावतार व कृष्णावतार के बाद पुनः विद्यापतिक महावतार लय मिथिलाकें संग - संग जगत के कवितामय वाणी सँ उद्धारक प्रेरक बनि कवि रूप विष्णुक एक चिरंतन महावतार ल मिथिलाक उद्धारक आ मिथिला कें प्रकाशित कय गंगा के अपना नजदीक बजा, हमरा जनैत कहीं जल समाधि ने ल नेने होइथ।
एहन विचारोपरांत अगर देखल जाए त विद्यापति विन कोनो महाकाव्यक रचना कएनहू विद्यापति गुरूक -गुरु , पंडितक -पंडित ,महाकवि में तेना महाकवि रहलाह अछि जेना वेद्हिमे में साम वेदादि कहि भगवान् अपनाकें विष्णुक व्यापकता प्रतिपादित कएने छथि।
कतए विद्यापति आ कतए एखन के लोक , कि जानत हुनकर प्रभुताई - बस ओहिना जेना ओ लिखने छथि –
उपमा तोहर कहब ककरा हम , कहितहूँ अधिक लजाई ।
यौ, विद्यापति कते अपनेक करब बड़ाई ।।
चलू आब करि समारोहक विषर्जन - आब त अपने लोकनि देखैत छि सरस्वती पूजा , दुर्गा पूजा , काली पूजा , व अन्य पूजा में मंदिर में पूजा आ बाहर जे कार्यक्रम होइत अछि ओहि में नौटंकी , अश्लील - अश्लील संगीत ऐना बुझना जाइत अछि जे सांस्कृतिक कार्यक्रम नहि अपितु मनोरंजनक नाम पर किछु आर परसल जा रहल अछि । ठीक ओहि प्रकारें विद्यापति समारोह जे मनाओल जाइत अछि ओहि में विद्यापतिक मुखौटा मात्र, किछु विशिष्ट नेता गणक स्वागत आ किछु स्थानिय वर्चस्वक लोकनिक स्वागत आर किछु ख़ास नहि । ओहि सं संस्था आ संस्थागत सदस्य लोकनि कें किछु स्थानिय वा किछु दूर तक पहचान जरुर बनि जाइत छनि ।
हमर आग्रह जे विष्णु तुल्य विद्यापति के पर्व समारोह में मनोरंजन सं बेसी विद्यापतिक कृतिक गान , चर्चा, कवि आ साहित्यक नव चर्चा ,स्वर्गीय विद्वान जनक चर्चा, वर्तमान विद्वान सं आजुक नव जन मानस के परिचय , जाहि में हुनक ज्ञान , रचना, अनुभव, के सर्व प्रथम परसल जेबाक चाही । मुदा दुर्भाग्यबस एहन तरहक विचारधारा कें अहूठाम कमी पाओल गेल आ अन्यत्र सेहो देखबा में अबैत अछि ।
ओना कुलमिलाक बहुत सुख शांतिक संग एही पर्वक कार्यक्रम सफल रहल । आ बाबा विद्यापतिक जे कि हमरा नजरि में विष्णु तुल्य छथि, हुनक अशिर्बाद सबकें प्राप्त भेलन्हि । अस्तु
संजय कुमार झा - नागदह
डी एल एफ अंकुर विहार
लोनी , गाजियाबाद 8010218022
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