रविवार, 17 जनवरी 2016

समय बड़ा बलवान पर कैसे मानू ?

समय बड़ा बलवान 
पर कैसे मानू ?
है हिम्मत तो दिखा मुझे 
सुबह को कर दे शाम 
रात को सूरज उगा दिखा तू 
मरे हुए जिन्दा कर तू 
दुखी को करके सुखी दिखा तू
कैसे तू बलबान ?
है हिम्मत तो रोक मुझे तू 
दुःख मेरा तू दूर तो कर दे 
दिखा दिखा तू हिम्मत अपना 
कुछ भी नहीं है तेरा अपना 
समय बदलता मेरा अपना 
उस पर तुम ऐंठ मत इतना 
"मेरा "को तू अपना कहता 
दुनिया को तुम बना मत इतना 
कुछ भी नहीं है तेरा अपना 
हिम्मत है तो रोक मुझे तू 
छोड़ रहा हूँ 
अंतिम सांस मै अपना 
मुझसे तू क्या जीत पायेगा ?
मुझे कहाँ ? 
मेरा सांस भी ना तू रोक पायेगा 
हूँ बलवान मै खुद इतना 
आया भी अपनी मर्जी से 
जाऊँगा भी अपनी मर्जी से 
दुनियाँ को तू खूब नचाया 
कहता सब को 
मैंने ही तो इसे बुलाया 
मैंने ही तो इसे भगाया 
मेरी भी तो एक बात तो सुनले 
मेरी इच्छा तुझसे छोटी 
करता बाते छोटी - मोटी
मै आया तो खुसी ले आया 
ख़ुशी के आँसू घरों में आया 
जाऊँगा फिर आएगा आँसू 
ये आँसू होंगे दुखी के आँसू 
पर एक बात तो मेरा सुनले 
जिस दिन तुम जाना चाहोगे 
ना निकलेंगे खुसी के आँसू 
ना निकलेंगे दुखी के आँसू

-----संजय कुमार झा "नागदह" 
18/08/2014

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बीहनि कथा - चुप्प नै रहल भेल ?

रातुक बारह बजे कनियां सं फोन पर बतियाइत छत पर गेलौं कि देखैत छी आगि लागल। जोर सं हल्ला कैल हौ तेजन हौ तेजन रौ हेमन .. अपन पित्तियौत भैयारी स...

आहाँ सभक बेसी पसन्द कएल - आलेख /कविता /कहानी