अछि प्रेम कतेक
हम की कहु ?
क्षण -क्षण हुनके पर ध्यान सतत
चाहे बाट चलु
या हाट रहु
क्षण -क्षण हुनके पर ध्यान सतत
हुनका बारे में फोन करि
कखनो हुनका - कखनो हुनका
कियो चिंतित
कियो बेखबर
क्षण - क्षण हुनके पर ध्यान सतत
कियो ऐना , कियो ओना कहथि
कियो कहथि फुइस अछि
प्रेम अहाँक
कियो कहथि किया ऐना डुबल छी ?
कि ओ अहाँके एकसर छी ?
हम चौंक गेलहुँ
इ कि कहला ?
कहला त' सत्य
अपितु किछु नहि
मुदा करू क़ी ?
किछु नहि सूझि रहल
क्षण - क्षण हुनके पर ध्यान सतत
हुनके धरती पर जनमल छी
हुनके कोरा में पलल छी
भाषा सेहो - अछि हुनके
क्षण - क्षण हुनके पर ध्यान सतत
अछि अंतिम इच्छा एतवे हम्मर
जौं प्राण देह सँ कखनो निकलय
माँ मैथिलीके हमरे सप्पत
हुनके कोरा में प्राण छुटय
अछि अभिलाषा सदिखन एहने
क्षण - क्षण हुनके पर ध्यान सतत
अछि प्रेम कतेक
हम की कहु ?
क्षण - क्षण हुनके पर ध्यान सतत....
संजय झा "नागदह"
27 /07 /2014
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