ईद-उल-जुहा (बकरीद) मुबारक हो।
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कुर्बानी गर देना चाहो
देकर देखो एक बार
काम, क्रोध, मद, मोह और हिंसा
नहीं जरुरत पड़ेगा मौला
बकरे का फिर बार - बार।
जान हमारा लेकर तुम
कहते देते हम कुर्वानी
एक बार पूछो मौला से
क्या ये है सच्ची कुर्वानी ?
बन खुदा के नेक बन्दे
कर्म,धर्म और ईमान से
हराम जिसे पसन्द न मौला
क्या मिलेगा इस कुर्वान से ?
संजय झा "नागदह"
दिनांक : 25/09/2015
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