Saturday, 16 January 2016

डीलरक किरदानी

गाम गाम में शोर भेल अछि , डीलर अछि बेईमान 
सभक मुँहे सुनि रहल छी, डीलर अछि शैतान। 
लाबै छथि राशन जनता के नाम पर 
आ तुरंत विदा भ जाइत छथि दुकान पर।
दूकानदार सँ कनफुसकी क' क'
दस बजे रातुक समय द' क' ।
सुन दलान देखि अबीह' बौआ 
एकटा बड़का बोड़ा ल' क' ।
पाई नगद तू लेने अबीह' 
दाम में नै तू घिच - पिच करिह' ।
कियाक त' गारिक हार हमहि पहिरै छी 
जनता के श्राप हमहि लैत छी  ।
हाकिम के घुस हमहि दैत छी 
तैयो हम चोरे कहबै छी ।
गौंआँ के बुरबक बनाबी 
अपने हम हाकिम कहाबी ।
सब कियो आगा पाछा करैया
घुस में पान तमाकुल दइया । 
तैयो हम करै छी मनमानी 
ककरो कोनो बात नै मानी ।
दस बोड़ा हम चीनी रखने 
तोरे सब के लेल ।
बाँकी जे दू बोड़ा बाँचत 
जनता के ठकी लेब । 
गाम में दस टा मुँहगर कनगर 
मुंह तकर हम भरबै ।
बाँकी सब ठाम झूठ बाजी क'
चोरी हमहि करबै ।
अगिला खेपी तेल आनब 
तू तखनहि रहिह' सचेत ।
रस्ते में तू ठाढ़ रहिह' पाई टीन समेत
गाम पर अनिते देरी ।
भ' जाइया हेरा फेरी 
मुखिया जी बदमाशी करैया ।
टीन झोरा ल' एतय अबैया
दस किलो चीनी आ तेल ।
ओकरो मंगनी देबय पड़ैया
मुदा दस किलो चीनी आ तेल पर ।
मुखहिया जी सकदम 
टकरा बाद जे मोन करैया ।
करै छी अपने मन 
टकरा बाद किरानी सबके ।
झूठ बाजी छी हमहि ठकने 
लोक सब हमर किरदानी के । 
महीना में दस टा दैत अछि दरखास 
जा गांधी (पांच सौ ) द' आफिसर के 
तुरंत करा दैत छी बरखास ।
घुसक छैक एखन जमाना 
तेन ने हम छी बनल दिबाना । 
चारि साल धरि कहुना कहुना
ई कोटा चलि जाएत ।
पाँचम साल बुझह 
सीमेंट जोड़ी दू तल्ला पिटायत ।
बेसी तोरा की कहिय'
एहि में घर बैसल बड्ड नफ्फा ।
मुदा आशीर्वाद में कखनो 
घर घरायण सब सफ्फा ।

(१९९२ के डायरी सँ )

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