आब नै रहल ओ समय
जे, काकी कहितथि
बौआ
कनि कक्का के बजा दिय
आ असोरा पर सँ कहियनु
जे कनि बोड़ा घुसका दिय
आब त अनुत्तरित कॉल पर
कक्का उपस्थित
स्थिति नियंत्रित अछि ।
हमरा याद अछि
बाबाक प्रातः कालक स्तुति
आ बाबीक प्राति
आ चारिये बजे भोर सँ
कहियो जाँतक खर -खर
त’ कहियो ढ़ेकीक धप - धप
आ जौं दुनू में सँ किछु नहि
त' सूपक आवाज फट - फट
आब त’ नहि रहला बाबा
आ नै रहल बाबीक सामर्थ
झुकी- लिबी चलै छथि
कोनो ना जीबय छथि
स्थिति नियंत्रित अछि ।
नै रहल हर , त’ फारक बाते कोन
लोहरा ओ पसाढी जे
चलि गेल हर - फारेक संग
करिन छल लकड़ी के
खा गेल स्थायी घुन
चलि गेल सबदिना लेल
करिन सँ ,पटबक धुन
लोहार अभियंता भेल
पटबन लेल दमकल भेल
जोतय लेल ट्रेक्टर भेल
कतय सँ लायब
विवाहक राति लेल पालो ?
स्थिति नियंत्रित अछि ।
पहिले भेल पलायन
माल - जाल मिथिलाके
खाली बथान भेल
सुन्न दलान भेल
हमरा आ आहाँ सँ
बुझि गेल ओ
पहिने जे
भविष्य नहि अछि
मिथिला में
के करत घर आ के करत बाहर जे ?
सर्दी आ गर्मी में
के करत घूर आ के करत ओछरा जे ?
आ सुच्चा जे मैथिल छल
सबटा परा गेल
छागर सबटा दुर्गा जी खा गेल
भेट नहि रहल बच्चा के
गायक दूध ,मायक दूध
स्थिति नियंत्रित अछि ।
लेखक - संजय कुमार झा "नागदह "
दिनांक :31/07/2014
(लेखक के प्रकाशन लेल अधिकार सुरक्षित , प्रकाशन लेल किनको देल जा सकैछ)
No comments:
Post a Comment