शनिवार, 16 जनवरी 2016

कल्पना के कल्पना

सदिखन रहैत छी 
कल्पना कें कल्पना में 
कखनो याद मे
त कखनो ख्याल मे
सोचैत छि सुतियो रहि 
ओकरे कल्पना मे

मोन त करैया दौड़ जाई 
कल्पना स उठि क'
भेंट क ली सद्यः 
करू कि ? विडम्बना एहन अछि 
जकड़ी गेल छी  बिना बेड़ी के 
ऐना, 
जेना, स्वामी में विरह में 
प्रति - पल आरती जकां जरैत
किनको पत्नी अपन पति के भला
ऐना - केना बिसरि जेती 
जेना, रात्रि भेला पर सूर्य आकाश सं
विलीन भ जाइत छथि
अवस्था हमर ओहू सं बेसी ख़राब अछि
कारन, 
हाल एहन अछि 
जेना, अजायब घर में राखल प्रतिमा 
ने हिल सकैत छि, ने डोईल
सब किछु समा गेल अछि 
कल्पना के कल्पना में ।

संजय कुमार झा "नागदह" 
दिनांक: 03/09/2013







      

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बीहनि कथा - चुप्प नै रहल भेल ?

रातुक बारह बजे कनियां सं फोन पर बतियाइत छत पर गेलौं कि देखैत छी आगि लागल। जोर सं हल्ला कैल हौ तेजन हौ तेजन रौ हेमन .. अपन पित्तियौत भैयारी स...

आहाँ सभक बेसी पसन्द कएल - आलेख /कविता /कहानी