लोग कहते हैं -
रंग बदलने में माहिर होता है गिरगिट
लेकिन,
गिरगिट ने कहा लोगो से -
भाई, तुम कई गुना आगे हो
व्यर्थ मुझे बदनाम कर रहे हो
रंग बदलने की कला में
मैं तो अपने जाती को धोखा नहीं दे पाता हूँ
पर तुम
दुनिया के साथ - साथ अपने जाती को भी
क्या - क्या बना देते हो
कभी चेहरे पर राम तो कभी रहीम बना लेते हो
इंसान रहते हुए
जानवर सा व्यवहार बना लेते हो
किसी भी हालत में
मेरा खाना - पीना
परिवेश नहीं बदलता है
पर तुम तो भीख मांगे के लिए
अलग सा भेष भी बना लेते हो
मेरा नाम हर हालत में एक ही रहता है
पर तुम्हारा
देखो-
कभी इंसान तो कभी जानवर
कभी कसाई तो कभी चांडाल
कभी चोर तो कभी डाकू
इत्यादि - इत्यादि
इसलिए हमारा यहाँ है नहीं प्रयोजन
कर रहा हूँ
प्राण विशर्जन।
संजय झा "नागदह"
Dated : 25/04/2014
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