उठ रौ बौआ , उठ रौ बेटा
भ' गेलै आब भोर
कतेक करबै आब तु देरी
सूर्यो भेलथि इन्होर ।
जाउ नहाउ आ जल्दी सँ आउ
जलखै भ' गेल ठंढा
झटपट आहाँ पहिर लिअ
पेंट, जूता ओ अंगा
उठाऊ झोड़ा, जाउ पाठशाला
नै त' लागत डंडा
मुँहक बोल छै कड़गर ओकर
ह्रदय बहाई छै गंगा ।
बोली बचन के बात नै पुछु -
कखनो रसगुल्ला सन मिठगर
कखनो , तितगर नीमक पात सन
एक रति जौं कष्ट जे देखलेत
छड़पटाय लागत -
बिन पाइनक ओ माछ सन ।
उम्र हमर आब भेल बहुत
भ, गेलहुँ हम जवान
तैयो ओकरा एहने लागय
इ अछि एखनो अज्ञान
आब बुझाइया
किया बुझैया इ हमरा अज्ञान
ठेंसो जखन हमर पुत्र के लागय
निकलि जाइत अछि प्राण ।
हे माय तोरा प्रणाम !! हे माँ तोरा प्रणाम !! हे माँ तोरा प्रणाम !!!
संजय झा "नागदह"
DATED 12/09/2014
No comments:
Post a Comment